नैनीताल, 08 फरवरी – उत्तराखंड के जंगल एक बार फिर आग की चपेट में हैं। ग्राम किलौर, पोस्ट ऑफिस देवद्वार, नथुवाखान, रामगढ़ क्षेत्र में आज दोपहर 2 बजे से आग भड़क उठी, जो देर रात तक जलती रही। स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना आग बुझाने के प्रयास किए, लेकिन शाम 6 बजे तक वन विभाग का कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा था।
ग्रामीण जुटे आग बुझाने में, संसाधनों की कमी बनी बाधा
स्थानीय युवा मनोज नेगी, जो खुद आग बुझाने में लगे हुए थे, ने जानकारी देते हुए बताया,
“ग्रामीण हरी घास के सहारे आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संसाधनों की भारी कमी है। देर रात भी जंगल में आग जलती दिखाई दी। वन विभाग को तत्काल संज्ञान लेकर जंगलों को बचाना चाहिए। अब तक आग लगने के कारण का पता नहीं चल पाया है।”
उन्होंने आगे कहा,
“हम सभी को अपने घरों के आसपास से पीरूल (सूखी पत्तियां) हटानी चाहिए और जंगलों की सफाई करनी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।”
हर साल जलते जंगल, हर साल खोखले दावे
उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग लगती है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। वन विभाग की ओर से आग से निपटने की तैयारियों के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन जब असल चुनौती सामने आती है, तो इंतजाम नाकाफी साबित होते हैं।
आवश्यक है त्वरित कार्रवाई
यदि जल्द राहत कार्य नहीं शुरू किए गए, तो यह आग विकराल रूप धारण कर सकती है। सरकार और वन विभाग को चाहिए कि आग से निपटने की तैयारियां सिर्फ कागजों और मॉक ड्रिल तक सीमित न रहें, बल्कि जमीनी स्तर पर प्रभावी कदम उठाए जाएं।
उत्तराखंड की वन संपदा को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इसका नुकसान न उठाना पड़े।
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