राधा बहिन भट्ट
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
राधा बहिन भट्ट का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के धुरका गाँव में हुआ। उनका बचपन पहाड़ी इलाकों की सादगी और प्राकृतिक परिवेश में बीता। उनके जीवन पर गांधीवादी विचारधारा और सरला बहिन के सामाजिक कार्यों का गहरा प्रभाव पड़ा।
शिक्षा और समाज सेवा की शुरुआत:
1951 में, राधा बहिन ने सरला बहिन द्वारा स्थापित कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम में शिक्षिका के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। यहाँ उन्होंने महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए कार्य किया। यह आश्रम महिला शिक्षा और सशक्तिकरण का केंद्र था, और यहीं से उन्होंने समाज सेवा के कार्यों को अपनी प्राथमिकता बनाई।
सर्वोदय आंदोलन और गांधीवादी विचारधारा:
1957 से 1961 तक, राधा बहिन ने सर्वोदय-भूदान आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। यह आंदोलन महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित था और इसका उद्देश्य सामाजिक समानता और भूमि सुधार करना था। 1961 से 1965 तक, उन्होंने अल्मोड़ा के बौगाड़ क्षेत्र में ग्रामीण नव निर्माण और विकास कार्यों में योगदान दिया।
पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा:
राधा बहिन ने शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में 25 बाल मंदिरों की स्थापना की, जिससे 15,000 बच्चों को शिक्षा का लाभ मिला। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने 1,60,000 पेड़ लगाए।
महिला सशक्तिकरण:
राधा बहिन ने महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति सुधारने के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाए।
प्रमुख आंदोलन:
राधा बहिन ने विभिन्न सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलनों में हिस्सा लिया, जिनमें नशाबंदी आंदोलन, टिहरी बाँध विरोधी आंदोलन, खनन विरोधी आंदोलन और नदी बचाओ आंदोलन शामिल हैं। उनके कार्यों ने उत्तराखंड और देशभर में समाज सुधार और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया।
अंतरराष्ट्रीय पहचान:
राधा बहिन ने डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, कनाडा, मैक्सिको, और अमेरिका जैसे देशों में व्याख्यान दिए। उन्होंने गांधी विचार, पर्यावरण, मानव अधिकार, और स्त्री अधिकार जैसे विषयों पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
पद्मश्री सम्मान:
26 जनवरी 2025 में, राधा बहिन भट्ट को भारत सरकार ने समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। यह सम्मान उनके 70 वर्षों के अथक सेवा कार्यों की स्वीकृति है।
जीवन का प्रेरणा स्रोत:
राधा बहिन भट्ट को “पहाड़ की गांधी” कहा जाता है। उनका जीवन गांधीवादी विचारों, सामाजिक सेवा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित रहा है। 91 वर्ष की आयु में भी उनकी सक्रियता और प्रतिबद्धता नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
निष्कर्ष:
राधा बहिन भट्ट का जीवन त्याग, सेवा और संघर्ष की मिसाल है। उनका कार्य क्षेत्रीय सीमाओं को पार कर वैश्विक स्तर तक पहुँचा और समाज सेवा की एक नई परिभाषा दी। उनके पद्मश्री सम्मान ने उत्तराखंड और पूरे देश को गौरवान्वित किया है।
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