मात्र 22 साल की उम्र में पार्षद बनी अंजना रावत : एक नई पीढ़ी की नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन,जिंदादिली और संघर्ष की भावना ने दिलाई इतिहास रच देने वाली जीत

श्रीनगर।

श्रीनगर गढ़वाल में रहने वाली अंजना रावत ने अपनी जिंदादिली और संघर्ष की भावना से सबको प्रेरित किया है। अंजना ने अपने पिता की मौत के बाद अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाली और चाय की दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया।

 

कौन है अंजना

अंजना की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। उनके पिता की मौत के बाद, अंजना ने अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाली और चाय की दुकान चलाना शुरू किया। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और बीए और एमए सोशियोलॉजी में डिग्री हासिल की।

 

निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सबसे कम उम्र की बनी पार्षद

अंजना की मेहनत और समर्पण ने उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में वार्ड पार्षद के रूप में चुना गया है।मात्र 22 साल की उम्र में, अंजना रावत ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पार्षद का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया है, जो उनकी जिंदादिली और संघर्ष की भावना का प्रमाण है।

 

 

तीलू रौतेली अवार्ड से है सम्मानित

राज्य सरकार ने अंजना के संघर्ष को सराहते हुए उन्हें तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह पुरस्कार अंजना की जिंदादिली और उसकी कभी न हार मानने वाले जज्बे का हासिल होगा।

 

टीम पहाड़पन की तरफ से अंजना को शुभकामनाएँ

अंजना को पार्षद बनने पर बहुत-बहुत बधाई! उनकी जीत से यह साबित होता है कि युवाओं में नेतृत्व की क्षमता है और वे अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम कर सकते हैं।

अंजना की जीत एक प्रेरणा है कि कठिन परिस्थितियों में भी संघर्ष और जिंदादिली से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

 

पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की खबरों के लिए आप सभी का अपना न्यूज़ पोर्टल pahadpan.com,खबरों के लिए संपर्क करें +917409347010,917088829995

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!