महाकुंभ मेला 2025 की अव्यवस्थाओं पर मातृ सदन का कड़ा प्रहार,प्रशासन विफल और अव्यवस्थाओ का अंबार

प्रयागराज, 07 फरवरी 2025 – महाकुंभ मेला 2025 को लेकर मातृ सदन ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अपने प्रेस वक्तव्य में मातृ सदन ने कुंभ की अव्यवस्थाओं, प्रशासनिक विफलताओं और तथाकथित अखाड़ा परिषद की भूमिका पर तीखी आलोचना की।

 

अव्यवस्थाओं का अंबार, प्रशासन पूरी तरह विफल

मातृ सदन के अनुसार, इस वर्ष महाकुंभ की अव्यवस्थाएं अभूतपूर्व रहीं। स्वच्छता, ध्वनि प्रदूषण, वायु एवं धूल प्रदूषण जैसी बुनियादी समस्याओं के अलावा, प्रशासन विशाल जनसमूह को संभालने में पूरी तरह असफल रहा। सबसे गंभीर आरोप 29 जनवरी की सुबह हुए हादसे को दबाने को लेकर लगाए गए हैं। मातृ सदन ने कहा कि प्रशासन ने इस घटना को पूरी तरह छिपाने का प्रयास किया और वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए।

 

दिव्य-भव्य कुंभ’ के नाम पर लीपापोती

मातृ सदन ने आरोप लगाया कि कुंभ केवल वीआईपी स्नानों और प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के प्रचार तक सीमित रह गया। आम श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं की घोर अनदेखी की गई, जबकि घाटों के पास की भूमि सत्ताधारी दलों से जुड़े संगठनों को दे दी गई। प्रशासन ने अपने प्रचार तंत्र को मजबूत करने पर ध्यान दिया, लेकिन स्नान करने आए करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधाओं की कोई चिंता नहीं की।

 

अखाड़ा परिषद और सरकार की मिलीभगत पर सवाल

मातृ सदन ने अखाड़ा परिषद और उसके अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी पर भी गंभीर आरोप लगाए। वक्तव्य में कहा गया कि परिषद अब सरकार की कठपुतली बन चुकी है और उसके प्रमुख संतों पर हमले कर रहे हैं, बजाय कि वे श्रद्धालुओं की समस्याओं को उठाएं। महंत रविंद्र पुरी द्वारा जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी पर सवाल उठाने को अनुचित बताते हुए, मातृ सदन ने परिषद की वैधता पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया।

 

“अखाड़ा परिषद को किया जाए भंग”

मातृ सदन ने अखाड़ा परिषद को तत्काल भंग करने की मांग करते हुए सुझाव दिया कि इसके स्थान पर एक नई प्रशासनिक व्यवस्था बनाई जाए, जहां संन्यासियों और बैरागियों के लिए अलग-अलग संगठन हों। शंकराचार्य और रामानंदाचार्य जैसे आध्यात्मिक गुरुओं के अधीन इन संगठनों को लाया जाए, ताकि संन्यास परंपरा के मूल सिद्धांतों की रक्षा हो सके।

 

“संतों का कर्तव्य सत्य की रक्षा, न कि सत्ता की चाटुकारिता”

मातृ सदन ने स्पष्ट किया कि संतों को सरकार की गलतियों को छुपाने का माध्यम नहीं बनाया जा सकता। उनका धर्म सत्य और धर्म की रक्षा करना है, न कि सत्ता के पक्ष में बोलना। संस्थान ने इस मुद्दे पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी के बयानों का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि वे इस संघर्ष में उनके साथ खड़े हैं।

 

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