महाकुंभ में संतों द्वारा गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने का प्रस्ताव पारित

प्रयागराज, महाकुंभ 2025: महाकुंभ के पावन अवसर पर आयोजित धर्म संसद में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग उठाई गई। इस अवसर पर देशभर के प्रमुख संतों और धर्माचार्यों ने एकमत होकर इस प्रस्ताव का समर्थन किया और केंद्र सरकार से इसे विधिवत लागू करने की अपील की।

 

धर्म संसद में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित

महाकुंभ नगरी में स्थित स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिविर में आयोजित धर्म संसद में यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुआ। इस दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (पुरी पीठ), जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम (ज्योर्तिमठ, बद्रीनाथ), जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सत्येंद्रनाथ (द्वारका शारदा पीठ) तथा जगद्गुरु स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती (कांची कामकोटि पीठ) सहित अनेक संतों ने गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने का समर्थन किया।

 

संतों ने गौसंरक्षण को बताया राष्ट्रीय धर्म

धर्म संसद में संतों ने कहा कि गाय सनातन संस्कृति की आत्मा है। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, “गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि सनातन परंपरा की रीढ़ है। इसे राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाना चाहिए, जिससे इसकी रक्षा और सम्मान सुनिश्चित हो सके।”

 

वहीं, स्वामी अवधेशानंद गिरि (जूनापीठाधीश्वर) ने कहा कि गौमाता भारतीय संस्कृति का आधार है और इसे राष्ट्रमाता घोषित करने से सनातन संस्कृति को मजबूती मिलेगी।

 

महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी (निर्वाणी अखाड़ा) ने कहा, “गाय का संरक्षण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टि से भी आवश्यक है।”

 

 

सरकार से विधिवत घोषणा की मांग

संत समाज ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि संविधान में संशोधन कर गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए और इसके लिए एक विशेष कानून बनाया जाए। धर्म संसद में पारित इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

 

जनजागरण अभियान की तैयारी

संतों ने घोषणा की कि आने वाले समय में देशभर में गौमाता को राष्ट्रमाता बनाने के लिए एक व्यापक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपने की योजना भी बनाई गई है।

 

महाकुंभ 2025 का ऐतिहासिक निर्णय

महाकुंभ 2025 में लिया गया यह निर्णय आने वाले समय में भारतीय समाज, धर्म और राजनीति में एक नए विमर्श को जन्म दे सकता है। संतों का मानना है कि यदि यह प्रस्ताव सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह सनातन संस्कृति की सबसे बड़ी विजय होगी और गौसंरक्षण को कानूनी रूप से मजबूती मिलेगी।

 

पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की खबरों के लिए आप सभी का अपना न्यूज़ पोर्टल pahadpan.com,खबरों के लिए संपर्क करें +917409347010,917088829995

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!