भारत में कानून का दोहरा मापदंड! BJP के लिए छूट, आम नागरिकों के लिए दमन? आयुष रावत

नई दिल्ली: भारत में कानून की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं,कुछ महीने पहले, युवा आयुष रावत ने सिर्फ़ AI की मदद से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक व्यंग्यात्मक मीम बनाया था,जिसमें सरकार से राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर सवाल पूछे गए थे। लेकिन इस “अपराध” का इनाम उसे BNS की धारा 152, 196 (1)(b), 292, 356(1) के तहत FIR, पुलिस हिरासत, मारपीट और मोबाइल जब्ती के रूप में मिला।

 

अब वही चीज़ BJP के आधिकारिक सोशल मीडिया पेजों से की जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाना बनाते हुए मीम पोस्ट किए जा रहे हैं, लेकिन वहां कोई FIR नहीं, कोई गिरफ्तारी नहीं, कोई पुलिसिया अत्याचार नहीं। क्या कानून सिर्फ विपक्षियों और आम नागरिकों को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है?

 

आयुष रावत का सवाल – क्या BJP के लिए अलग कानून और जनता के लिए अलग?

आयुष रावत ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:

“अगर मेरे एक मीम पर मुझ पर गंभीर धाराओं में मुकदमा किया गया, तो अब BJP के सोशल मीडिया पेजों पर वही चीज़ पोस्ट करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? अगर कानून सबके लिए समान है, तो बीजेपी के खिलाफ भी FIR होनी चाहिए, या फिर यह साफ़ कर दिया जाए कि यह कानून सिर्फ़ हमें डराने के लिए है!”

 

लोकतंत्र में सवाल पूछना गुनाह नहीं हो सकता!

अगर सिर्फ़ एक व्यंग्यात्मक पोस्ट किसी को “अलगाववादी” बना सकती है, तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है,आयुष रावत ने साफ़ कहा है कि अगर उसे न्याय नहीं मिला, उसका फोन वापस नहीं किया गया और जिन पुलिसकर्मियों ने उसके साथ अन्याय किया, उन पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वह न्यायालय की शरण में जाएगा और जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के नाम उजागर करेगा।

 

अगर उत्तराखंड या भारत सरकार में इतनी हिम्मत है तो अब BJP के सोशल मीडिया पेजों पर हो रही ऐसी ही हरकतों पर भी FIR दर्ज करके दिखाए, या फिर साफ़ कहे कि भारत में कानून अब सिर्फ सत्ता के हितों की रक्षा के लिए है, न कि आम जनता के लिए।

 

जय हिंद, जय भारत, जय उत्तराखंड!

 

तो वाकई ये बड़ा प्रश्न हैं कि चुनावी समय में भाजपा का आईटी सेल लागतार इस तरह के मीम प्रसारित करता हैं जिसकी खुली छूट शायद सरकार द्वारा उन्हें दी गई हो,वहीं आम नागरिक को गिरफ्तार कर मुकदमें लगा दिए जाते हैं।

 

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