जोशीमठ (उत्तराखंड) – मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति की टीम द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जुटाई गई जानकारी से बड़ा खुलासा हुआ है। जोशीमठ और उसके आसपास के गाँवों में बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा बड़ी संख्या में जमीनें खरीदी जा रही हैं।
यह केवल ज़मीन खरीद का मामला नहीं है, बल्कि इससे उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और जनसंख्या संरचना पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
मुख्यमंत्री धामी सरकार पर सवाल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा सरकार द्वारा लाया गया भू-कानून अब उत्तराखंडवासियों के लिए एक कमजोर और दिशाहीन कदम के रूप में देखा जा रहा है। भू-कानून को लेकर उठ रही आवाज़ों का कहना है कि यह प्रदेशवासियों के हितों की रक्षा करने में असमर्थ है और इससे बाहरी पूंजीपतियों को राज्य में जमीनें खरीदने का खुला अवसर मिल रहा है।
जनता में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
संघर्ष समिति और स्थानीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस विषय पर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो राज्यभर में व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। सोशल मीडिया पर भी ‘उत्तराखंड मांगे सशक्त भू-कानून’ जैसे हैशटैग तेज़ी से वायरल हो रहे हैं।
यह मामला उत्तराखंड की भूमि, संस्कृति और अस्मिता की रक्षा से जुड़ा है, जिसे लेकर अब प्रदेशभर में गंभीर चिंता जताई जा रही है।
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