नैनीताल – उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीडीसी चुनाव में पराजित प्रत्याशियों द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्हें चुनाव याचिका के रूप में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अदालत ने आदेश दिया है कि इन चुनाव याचिकाओं का निस्तारण छह माह के भीतर किया जाए। कोर्ट ने फिलहाल किसी भी मामले में अंतरिम आदेश जारी नहीं किया है। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार, पौड़ी गढ़वाल निवासी दीक्षा नेगी, टिहरी निवासी नीरू चौधरी और उत्तरकाशी निवासी उषा ने अपनी याचिकाओं में आरोप लगाया कि वे बीडीसी सदस्य का चुनाव हार गईं, जबकि विजयी प्रत्याशियों के नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज थे। याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि ऐसे प्रत्याशियों का निर्वाचन रद्द किया जाए और उन्हें 14 अगस्त को होने वाले ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ प्रमुख और कनिष्ठ प्रमुख के चुनाव में मतदान से रोका जाए।
इसी तरह वर्षा राणा, गंगा नेगी, कनिका और त्रिलोक बिष्ट ने भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले और विजयी रहे प्रत्याशी दूसरे क्षेत्र से चुनाव जीते हैं तथा उनके नाम भी दो मतदाता सूचियों में थे।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि 11 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने शक्ति सिंह बर्त्वाल की याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए राज्य निर्वाचन आयोग के उस सर्कुलर पर रोक लगा दी थी, जिसमें दो जगह मतदाता सूची में नाम वाले व्यक्तियों को मतदान और चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, उस समय तक पंचायत चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, जिससे ऐसे प्रत्याशी चुनाव में भाग लेने में सफल रहे। अब इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर चुनाव याचिकाओं के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी जा रही है।
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