स्थान : लालकुआं/बिंदुखत्ता
मुद्दा: बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाने में हो रही देरी
बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाने की अधिसूचना में हो रही देरी के कारण स्थानीय युवाओं और सामाजिक संगठनों में आक्रोश बढ़ रहा है,वन अधिकार समिति के नेतृत्व में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई, जहां क्षेत्र के विभिन्न नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अधिसूचना जारी करने की मांग के प्रति अपना समर्थन जताया।
वन अधिकार समिति की भूमिका
वन अधिकार समिति के सचिव भुवन भट्ट ने बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम के संघर्ष की कार्यवाही पर प्रकाश डाला,उन्होंने बताया कि इस मांग को राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जाएगा,जिसमें भारत के अन्य राज्यों की वन अधिकार समितियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा,बैठक में वन अधिकार समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी भी उपस्थित थे,उन्होंने लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए समिति के प्रयासों की सराहना की।
युवाओं और कार्यकर्ताओं का आक्रोश
बैठक के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी ने एलान किया कि जब सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और केवल अधिसूचना जारी होना बाकी है,तो सरकार इसमें देरी क्यों कर रही है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई अपने अंतिम चरण में है,क्षेत्रीय विधायक और सांसद से विधानसभा और लोकसभा सत्र के दौरान यह मुद्दा उठाने का निवेदन किया जाएगा।
राजा धामी, युवा नेता, ने भी सरकार की नाकामी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यदि समय पर अधिसूचना जारी नहीं होती है, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
गोल्ज्यू न्याय यात्रा का प्रभाव
जब राजस्व ग्राम की मांग को लेकर नेता केवल आश्वासन दे रहे थे और कोई ठोस कार्य नहीं हो रहा था,तब पीयूष जोशी और राजा धामी के नेतृत्व में ‘गोल्ज्यू न्याय यात्रा’ निकाली गई,इस यात्रा में सैकड़ों बिंदुखत्ता वासियों ने हिस्सा लिया और घोड़ाखाल स्थित गोल्ज्यू मंदिर में अर्जी लगाई,गोल्ज्यू को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी शरण में अर्जी लगाना क्षेत्रवासियों की गहरी आस्था का प्रतीक है।
आंदोलन की तैयारियां
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगर जल्द ही अधिसूचना जारी नहीं होती, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
पीयूष जोशी ने कहा कि सभी सांसदों और विधायकों से संपर्क किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर देहरादून जाकर मुख्यमंत्री का घेराव किया जाएगा।
राजा धामी ने अपने परिचित विधायकों से संपर्क साधने और बड़े आंदोलन में शामिल होने की बात कही।
समर्थन देने वाले अन्य नेता और संगठन
बैठक में वरिष्ठ नेता भगवान सिंह धामी, सामाजिक कार्यकर्ता विनोद भट्ट, और शेखर पांडेय भी उपस्थित रहे। पूर्व सैनिक संगठन और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है।
आगे की रणनीति
वन अधिकार समिति ने प्रत्यक्ष आंदोलन में शामिल होने से इंकार किया है और इसे जागरूकता अभियान तक सीमित रखने की बात कही है,हालांकि, समिति के प्रयासों से क्षेत्र में जागरूकता बढ़ रही है। दूसरी ओर,क्षेत्र के युवा और सामाजिक संगठन आंदोलन को समर्थन देकर इसे तेज करने की तैयारी में जुट गए हैं।
निष्कर्ष
यदि बिंदुखत्ता को जल्द ही राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं मिलता,तो लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आंदोलन की संभावना है। बैठक में शामिल युवाओं और कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
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