बागेश्वर, कपकोट:
उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों में विकास की हकीकत एक बार फिर सामने आई है। कपकोट ब्लॉक के भद्रकाली गांव में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण रविवार को एक 81 वर्षीय बुजुर्ग गिरीश जोशी को गंभीर अवस्था में डोली में बैठाकर तीन किलोमीटर तक ले जाना पड़ा। उन्हें सड़क तक पहुंचाने के बाद वाहन से 25 किमी दूर कांडा अस्पताल में भर्ती कराया गया।
ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2021 में विधायक निधि से गांव के लिए सड़क निर्माण की स्वीकृति मिली थी। निर्माण कार्य शुरू भी हुआ, लेकिन आज तक अधूरा है। लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद ग्रामीणों को सड़क का लाभ नहीं मिल सका। बीमार, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और आपातकालीन हालात में यह अधूरी सड़क अब गांव की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है।
घटनाक्रम:
रविवार सुबह गिरीश जोशी की तबीयत बिगड़ी। स्वास्थ्य केंद्र की दूरी और सड़क न होने के चलते गांव के प्रदीप जोशी, दीपक जोशी, महेश जोशी, भास्कर जोशी, विपिन जोशी, जयकृष्ण जोशी, देवकीनंदन जोशी और गोपाल जोशी ने मिलकर उन्हें डोली में बिठाया और तीन किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य मार्ग तक लाए। इसके बाद उन्हें वाहन से अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप:
सड़क निर्माण को लेकर प्रशासनिक लापरवाही।
निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया, कोई जवाबदेही नहीं तय।
आपात स्थिति में गांव पूरी तरह से असहाय।
कई परिवार इस बदहाली के कारण गांव छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं।
ग्रामीणों की मांग:
भद्रकाली गांव के लोगों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि अधूरी सड़क को तत्काल पूरा कराया जाए। उनका कहना है कि सड़क न होना सिर्फ विकास की कमी नहीं, बल्कि सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
पहाड़पन की राय:
उत्तराखंड के दूरस्थ गांवों में आज भी बुनियादी सुविधाएं एक सपना बनी हुई हैं। योजनाएं शुरू तो होती हैं, लेकिन उनकी पूर्णता और गुणवत्ता पर कोई निगरानी नहीं। भद्रकाली जैसे गांवों की स्थिति बता रही है कि विकास केवल कागजों में सीमित है।
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