उत्तराखंड की शांत वादियों में जब कोई सड़क हादसा होता है, तो सिर्फ खून नहीं बहता – बहती है व्यवस्था की लापरवाही, सिस्टम की कमजोरी और भ्रष्टाचार की गंदी स्याही। बुधवार को गंगोत्री हाईवे पर ताछला के पास हुए भीषण ट्रक हादसे ने एक बार फिर यही साबित कर दिया। इस दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और 18 गंभीर रूप से घायल हो गए। लेकिन यह महज एक सड़क हादसा नहीं था – यह था एक सिस्टम की नाकामी का आइना, जहां चंद रुपए लेकर इंसानों की जानों से खेला जा रहा है।
हादसे के पीछे की भयावह सच्चाई
इस ट्रक को चला रहा था एक युवक – राहुल कुमार। जब हमारी टीम ने इस पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश की, तो जो सामने आया उसने हर उत्तराखंडी को झकझोर कर रख दिया। ड्राइवर राहुल ने खुद स्वीकार किया कि ऋषिकेश की भद्रकाली चेक पोस्ट पर 21 सवारियों से भरे इस ट्रक को यात्रा की अनुमति अवैध रूप से दी गई, और इसके लिए 900 रुपये की रिश्वत वसूली गई। सोचिए, महज़ 900 रुपये में 21 जानों की बोली लगाई गई! यह घटना केवल एक ट्रैफिक चूक नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित ‘मौत की डील’ है – जिसमें ट्रक, चालक और सरकारी कर्मचारी सभी मिले हुए थे।
अनुभवहीन ड्राइवर, न कोई हिल लाइसेंस
सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब हमने ड्राइवर राहुल कुमार की प्रोफाइल खंगाली। पता चला कि उसका ड्राइविंग लाइसेंस महज़ छह महीने पहले, यानी 13 दिसंबर 2024 को बना था। और ये भी कि उसके पास ना हिल ड्राइविंग का अनुभव है, ना ही पहाड़ी लाइसेंस। पहाड़ों की टेढ़ी-मेढ़ी और खतरनाक सड़कों पर गाड़ी चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है, जिसके लिए विशेष प्रशिक्षण और अनुभव जरूरी होता है। लेकिन यहाँ तो केवल रिश्वत ही मानदंड बन चुकी है – जिसके पास पैसे हैं, उसके लिए सारे रास्ते खुले हैं, चाहे वो किसी की जिंदगी छीनने वाले ही क्यों न हों।
सवालों के घेरे में परिवहन और पुलिस विभाग
इस हादसे ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए हैं:
भद्रकाली चेक पोस्ट पर किस अधिकारी ने ट्रक को पास किया?
क्या किसी ने इस ट्रक की वैधता, परमिट या सवारियों की संख्या की जांच की?
ड्राइवर की योग्यता की जांच क्यों नहीं की गई?
हादसे के बाद कार्रवाई किस पर हुई? क्या सिर्फ ड्राइवर को ही पकड़ना काफी है?
हैरानी की बात यह है कि ड्राइवर राहुल को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया, और बाकी कर्मचारी फिर से उसी रिश्वतखोरी की दुकान खोलकर बैठ गए हैं।
सिस्टम की मिलीभगत या सुनियोजित हत्या?
इस घटना को सिर्फ एक ‘एक्सीडेंट’ कहना सरासर अन्याय होगा। यह है सिस्टम की मिलीभगत से की गई एक ‘सुनियोजित हत्या’। जब एक अनुभवहीन ड्राइवर को सैकड़ों किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा के लिए ट्रक सौंप दिया जाए, वो भी रिश्वत लेकर, तो ये केवल लापरवाही नहीं – अपराध है। इसमें सिर्फ ड्राइवर नहीं, बल्कि पुलिस, आरटीओ, चेक पोस्ट कर्मी और परमिट जारी करने वाले सभी दोषी हैं।
उत्तराखंड सरकार से सवाल
अब ज़रूरी है कि उत्तराखंड सरकार और संबंधित विभाग इन सवालों का जवाब दें:
क्या जिम्मेदारी तय की जाएगी?
क्या रिश्वत लेने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?
क्या पीड़ितों के परिवार को न्याय मिलेगा?
क्या आगे ऐसे हादसों को रोकने के लिए कोई सख्त कदम उठाया जाएगा?
उत्तराखंड में हादसे लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन उनके पीछे की असली वजह – भ्रष्ट तंत्र – हमेशा पर्दे में ही रह जाती है।
अब वक्त है कि इस “मौत के कारोबार” पर रोक लगे और हर जिम्मेदार चेहरे को सरेआम बेनकाब किया जाए। नहीं तो अगली बार कोई और ट्रक, किसी और गांव की जिंदगियां निगल जाएगा… और सिस्टम हमेशा की तरह चुप रहेगा।
(आपकी आवाज़ बनकर, “पहाड़पन न्यूज़” – सच के साथ)
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