देहरादून, 12 जून 2025:
उत्तराखंड में “लुक बैंक” नामक एक फर्जी कंपनी द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर आर्थिक घोटाले का मामला अब राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही स्तरों पर गंभीरता से लिया जा रहा है। इस घोटाले की शिकार हुई महिलाओं और आम नागरिकों का प्रतिनिधिमंडल आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिला।
प्रतिनिधिमंडल में उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) की उपाध्यक्ष प्रमिला रावत, प्रमुख पीड़िता सरस्वती देवी, और कई अन्य महिलाएं शामिल थीं, जिन्होंने ठगी का शिकार होने के बाद न्याय की गुहार लगाई।
पीड़ितों ने आरोप लगाया कि “लुक बैंक” के नाम पर एक फर्जी वित्तीय संस्था ने गरीब और ग्रामीण महिलाओं को विदेश भेजने और रोजगार दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी की। कंपनी के संचालक और उससे जुड़े कबूतरबाज अब तक खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि पीड़ित महिलाएं मानसिक, सामाजिक और आर्थिक शोषण झेल रही हैं।
मुख्यमंत्री से हुई बातचीत को लेकर प्रतिनिधिमंडल ने इसे सकारात्मक और आशाजनक बताया। मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को समझते हुए संबंधित एजेंसियों को त्वरित और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं।
सरस्वती देवी का बयान:
“हमने अपने ज़ेवर गिरवी रखकर और कर्ज लेकर पैसे दिए थे, हमें सपना दिखाया गया कि हमारे बच्चे विदेश जाकर कमाएंगे। अब न पैसा वापस है, न भरोसा बचा है। हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए।”
“हम अपनी चुनी हुई सरकारों से जन मुद्दों पर दो टूक टेबल टॉक करते हैं, गुलदस्ता लेकर जी हुजूरी नहीं।
मैं अपनी उत्तराखंड की सभी सम्मानित देव तुल्य जनता से एवं एलयूसीसी पीड़ित सभी भाई–बहनों और नागरिकों से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन करूंगी — इस समय आप लोग बड़ी बहन, वरिष्ठ आंदोलनकारी, परम सम्मानित श्रीमती प्रमिला रावत दीदी जी और हमारा साथ खड़े हो।
हम न केवल आपकी चुनी हुई सरकारों से आपका पैसा वापस दिलवाएंगे, बल्कि आपके सभी अधिकारों, जीवन और भविष्य की रक्षा भी करेंगे।
यह तभी संभव होगा जब आप सब हमारा साथ निभाएंगे।
बहुत-बहुत धन्यवाद।”
यूकेडी उपाध्यक्ष प्रमिला रावत ने भी इस मुद्दे को जनता से जुड़ा बताते हुए कहा:
“यह सिर्फ आर्थिक धोखाधड़ी नहीं, गरीब जनता की भावनाओं और भविष्य के साथ किया गया क्रूर मज़ाक है। सरकार से सकारात्मक आश्वासन मिला है, अब दोषियों को जेल में देखना ही अंतिम लक्ष्य है।”
सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में सहकारिता विभाग के कुछ अधिकारियों और सहकारिता मंत्री की भूमिका भी अब जांच के दायरे में है।
राज्यभर में इस मुद्दे को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है, और अब सभी की निगाहें सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
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