पौड़ी: आपदा में डूबा उत्तराखंड, लेकिन नेताओं का दिल बहला नेपाल में – ‘भामा देई’ पर थिरकते जनप्रतिनिधि

पौड़ी। उत्तराखंड इन दिनों प्राकृतिक आपदा के दर्द से कराह रहा है। उत्तरकाशी से पौड़ी तक तबाही का आलम है—लोग जान गंवा चुके हैं, घर बह चुके हैं, सड़कें टूट चुकी हैं, और बांकुड़ा गांव (थैलीसैंण ब्लॉक) में 5 श्रमिक अब तक लापता हैं। इस वक्त जनता अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों से उम्मीद करती है कि वे राहत-बचाव के मोर्चे पर सबसे आगे होंगे। लेकिन अफसोस, कुछ नेताओं के लिए ‘आपदा’ का मतलब शायद सिर्फ “राजनीतिक मौसम साफ” होना है।

 

वरिष्ठ पत्रकार मनोहर बिष्ट द्वारा साझा किए गए एक वीडियो ने इन नेताओं की असल प्राथमिकताएं उजागर कर दीं। वीडियो में थैलीसैंण ब्लॉक के कई नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य नेपाल के काठमांडू स्थित एक होटल में न सिर्फ मौज-मस्ती कर रहे हैं, बल्कि वीरेंद्र राजपूत के गढ़वाली गाने ‘भामा देई’ पर जमकर थिरकते हुए नजर आ रहे हैं। चेहरों पर मुस्कान, कदमों में लय, और आपदा की चिंता? – वो शायद होटल के बाहर ही छोड़ आए होंगे।

 

सूत्र बताते हैं कि यह पूरा मामला ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनावों के दौरान होने वाली तथाकथित ‘अघोषित किडनैपिंग’ का है, जिसमें दावेदार अपने समर्थक सदस्यों को विपक्षी खेमे से दूर रखने के लिए ऐसी विदेश यात्राओं पर ले जाते हैं। जनता के दुख-दर्द से ज्यादा अहम फिलहाल ‘खेमेबंदी’ और ‘पार्टी मूड’ है।

 

संवेदनहीनता का एक और चेहरा भी पौड़ी से सामने आया है। एक नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य के पिता का निधन हो गया, लेकिन वह जनप्रतिनिधि भी कथित रूप से किसी प्रत्याशी द्वारा ‘गुप्त ठिकाने’ पर रखा गया था और फोन बंद होने के कारण अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सका।

 

स्थानीय लोगों का कहना है, “राजनीति अपनी जगह है, लेकिन इंसानियत पहले होनी चाहिए। यहां तो उल्टा हो गया—गांव में मातम है, और हमारे नेता विदेश में डांस कर रहे हैं।”

 

सवाल सीधा है—क्या जनता ने अपने प्रतिनिधियों को आपदा में राहत पहुंचाने के लिए चुना था या ‘भामा देई’ पर स्टेप मिलाने के लिए?

 

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