उत्तराखंड, गोपेश्वर। – 25 वर्षों में राज्य बनने के बाद भी उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधर नहीं पाए हैं। प्राकृतिक आपदाओं और कठिन भूगोल की मार झेलते पहाड़ी क्षेत्र अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
इसी कड़वी हकीकत का एक जीवंत उदाहरण सामने आया जब दूरस्थ क्षेत्र इराणी की एक बीमार महिला को उपचार के लिए 12 किलोमीटर पैदल चलकर जिला अस्पताल गोपेश्वर तक पहुँचाया गया। स्थानीय ग्रामीणों ने मिलकर महिला को अस्पताल तक पहुँचाया, लेकिन इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की असफलता को फिर उजागर कर दिया।
राज्य बनने के बाद कई सरकारें बदल गईं, योजनाएं आईं और योजनाएं गईं, लेकिन पहाड़ की स्वास्थ्य सेवाएं आज भी वहीं हैं जहाँ से 25 साल पहले उत्तराखंड के गठन के समय खड़ी थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की कमी, खराब सड़कों और आपदा प्रबंधन में अनियमितता इस दुर्दशा की वजह बनी हुई हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सरकार ने पहाड़ी स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता नहीं दी, तो ऐसी घटनाएं लगातार घटती रहेंगी और लोगों की जान जोखिम में रहेगी।
उत्तराखंड के पहाड़ी जीवन की कठिनाइयाँ आज भी अपने चरम पर हैं, और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति इस चुनौती को और भी गहरी बना रही है।
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