पहलगाम (जम्मू-कश्मीर): सोमवार को हुए आतंकवादी हमले में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें कम से कम तीन स्थानीय घोड़े वाले भी शामिल थे। इसी भयावह घटना के दौरान वहां मौजूद रहे पर्यटक अमरेंद्र कुमार सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए जो अनुभव साझा किया, वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है।
उन्होंने लिखा,
“जाको राखे साइयां, मार सके न कोई।”
सुन कर राहत जरूर मिलती है, लेकिन जिन मासूमों की जान गई, उनके लिए मन में गहरा दुःख और गुस्सा भी है।
घटना स्थल से महज़ 300-400 मीटर की दूरी पर घोड़े पर सवार अमरेंद्र कुमार और उनके साथ मौजूद मोना अचानक गोलियों की आवाज़ और लोगों को भागते देखकर स्थिति को समझ गए। उनके अनुसार, घोड़े वाला बिना देरी किए उन्हें वहां से तेजी से निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा। वे घटना के तुरंत बाद अपने होटल लौट आए और फिर पूरे टूर को बीच में छोड़कर उसी शाम की फ्लाइट से वापस दिल्ली लौटने का निर्णय लिया।
उन्होंने पोस्ट में लिखा:
“कृपया किसी के बहकावे में न आएं। कहा जा रहा है कि रेकी पहले ही की गई थी, फिर भी वहां सुरक्षा बलों की कोई तैनाती नहीं थी। राजनीति अब शुरू हो चुकी है – कोई धर्म पूछ रहा है, कोई जात। लेकिन हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा।”
अमरेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि कैसे स्थानीय लोगों के सहयोग से हजारों जानें बच पाईं। घोड़े वाला, गाड़ी वाला और होटल स्टाफ सभी ने दिल से मदद की।
“जहां होटल वाले ने पेमेंट नहीं लिया, ड्राइवर ने रोते हुए भी टिप लेने से इनकार किया, वहीं श्रीनगर से दिल्ली की दो टिकट के 38,000 रुपए चुकाने पड़े। गिद्ध तो हर मौके पर होते हैं।”
उन्होंने अंत में अपील की कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में देश को एकजुट रहना चाहिए और जो लोग इस हमले में मारे गए, उनके लिए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की जानी चाहिए।
“जो चले गए, ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।”
– अमरेंद्र कुमार सिंह की सोशल मीडिया वॉल से।
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