देहरादून।
उत्तराखंड में चल रहे राष्ट्रीय खेलों (नेशनल गेम्स) में भ्रष्टाचार और मेडल फिक्सिंग का पर्दाफाश करने वाले फेसबुक चैनल ‘Uttarakhand Wale’ के एडमिन अंकुश को पुलिस ने गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिल रहा था ।
क्या है पूरा मामला?
अंकुश ने अपने फेसबुक चैनल के माध्यम से पोस्ट बकायदा खबर के माध्यम को दर्शाते हुए शेयर किया था कि उत्तराखंड में आयोजित हो रहे नेशनल गेम्स में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल लाखों में बेचे जा रहे हैं। उन्होंने इस घोटाले की पोल खोली, जिसके बाद खेल संगठनों में हड़कंप मच गया। लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
लोकतंत्र पर हमला?
अंकुश की गिरफ्तारी को लेकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं। क्या अब सच बोलना गुनाह बन गया है? क्या भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वालों को ही जेल में डाला जाएगा?
उत्तराखंड में इससे पहले भी सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वालों को निशाना बनाया गया है—
✅ सोशल मीडिया एक्टिविस्ट को गिरफ्तार किया गया।
✅ पत्रकारों पर हमले हुए हैं।
✅ सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को टारगेट किया गया है।
कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई
कल कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस की रिमांड याचिका खारिज कर दी गई, और न्यायालय ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। इस फैसले से अंकुश को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने उत्तराखंड में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
समर्थन में उठ रही आवाजें
अंकुश की गिरफ्तारी के खिलाफ लोग विरोध दर्ज करा रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में पोस्ट ट्रेंड कर रहे है, और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व स्थानीय नागरिकों ने इस कार्रवाई की निंदा की है।
क्या सच बोलने की यही सजा है? उत्तराखंड के लोग इस सवाल का जवाब मांग रहे हैं।
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