देहरादून।
उत्तराखंड एसटीएफ ने नकली दवाइयों के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए पति-पत्नी समेत दो आरोपियों को पंजाब के जिरकपुर से गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई उस गिरोह के खिलाफ चल रही तफ्तीश का हिस्सा है, जो ब्रांडेड कंपनियों की जीवन रक्षक दवाइयों की हुबहू नकल कर उत्तराखंड समेत छह राज्यों में सप्लाई करता था। अब तक इस नेटवर्क से जुड़े 12 आरोपी दबोचे जा चुके हैं।
मास्टरमाइंड पति-पत्नी और फर्जी मेडिकल फर्म
एसटीएफ जांच में सामने आया कि गिरोह के सरगना प्रदीप कुमार और उसकी पत्नी श्रुति डावर “एपी मेडिकोज” नाम से मेडिकल स्टोर चलाते थे। यहीं से नकली दवाइयों की सप्लाई होती थी। इसके अलावा आरोपियों ने “साईं फार्मा” नाम से एक फर्जी फर्म भी खड़ी की थी। एसटीएफ के अनुसार इस फर्म के खाते में पिछले दो साल में करीब 14 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है।
छह राज्यों तक फैला नेटवर्क
नकली दवाइयों की सप्लाई राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में की जा रही थी। गिरोह पैकिंग के लिए हिमाचल और देहरादून से नकली फॉयल व रैपर बनवाता था और फिर इन्हें ट्रांसपोर्ट के जरिए राजस्थान भेजकर पैकिंग और सप्लाई करता था।
पहले भी जेल जा चुका है आरोपी
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि कोरोना काल में प्रदीप कुमार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के आरोप में पानीपत पुलिस द्वारा जेल भेजा जा चुका है। इसके बावजूद उसने अलग-अलग राज्यों में फैक्ट्री और नेटवर्क खड़ा कर कारोबार जारी रखा। गिरोह में शामिल कई आरोपी दवा कंपनियों के मालिक और प्लांट हेड रह चुके हैं, जिससे नेटवर्क और खतरनाक हो गया।
जनता की जान से खिलवाड़
एसटीएफ ने बताया कि नकली जीवन रक्षक दवाइयों के बाजार में पहुँचने से आम जनता की जान पर गंभीर खतरा पैदा हो रहा था। साथ ही सरकार को भी भारी राजस्व हानि हो रही थी। फिलहाल गिरफ्तार दंपत्ति से पूछताछ जारी है और एसटीएफ ने साफ किया है कि गिरोह के बाकी सदस्यों को भी जल्द बेनकाब कर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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