धुमाकोट महाकौथिग में इस बार लोकसंस्कृति की सजीव आत्मा को सच्चा सम्मान मिला। वर्षों से ढोल-दमाऊं की थाप पर उत्तराखंडी परंपरा को जीवंत रखने वाले बुजुर्ग लोक कलाकार श्री दर्शन लाल जी को उनकी सेवाओं और समर्पण के लिए ‘दीबा देवी सम्मान’ से नवाजा गया।
उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोकगायिका हेमा नेगी करासी जी ने उन्हें यह सम्मान देते हुए नया ढोल भेंट किया। इस क्षण ने पूरे माहौल को भावुक बना दिया। ढोल थामते ही दर्शन लाल जी की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। ये सिर्फ आंसू नहीं थे, बल्कि दशकों की साधना और समाज द्वारा मिले सम्मान की गवाही थे।
श्री दर्शन लाल जी ने जीवनभर विवाह, पूजा-पाठ और अन्य सामाजिक आयोजनों में ढोल-दमाऊ बजाकर उत्तराखंडी संस्कृति की अलख जगाई है। उन्होंने अपनी कला को कभी व्यवसाय नहीं, बल्कि संस्कृति सेवा समझा और उसी भावना से हर आयोजन को संगीतमय किया।
इस मौके पर मौजूद हर व्यक्ति ने तालियों से इस क्षण को सराहा और दर्शन लाल जी को भावभीनी शुभकामनाएं दीं। यह सम्मान केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस समर्पित लोकसंस्कृति को था जो आज भी गांव-गांव में ढोल की थाप के साथ धड़क रही है।
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