मसूरी, 2 सितंबर 2025:
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास में 2 सितंबर का दिन हमेशा मसूरीवासियों की धड़कनें तेज कर देता है। 1994 में इसी दिन पीएसी और पुलिस ने मसूरी में आंदोलनकारी युवाओं पर गोलीबारी की थी। इस गोलीकांड में छह आंदोलनकारी शहीद हुए और दर्जनों घायल हुए थे। वहीं, एक पुलिस उपाधीक्षक की भी मृत्यु हुई थी।
मसूरी गोलीकांड – संक्षिप्त विवरण:
तारीख: 2 सितंबर
वर्ष: 1994
दिन: शुक्रवार
शहीद आंदोलनकारी:
1. बलबीर सिंह नेगी
2. धनपत सिंह
3. राय सिंह बंगारी
4. मदनमोहन ममगाईं
5. बेलमती चौहान
6. हंसा धनाई
पुलिसकर्मी की मृत्यु: पुलिस उपाधीक्षक उमाकांत त्रिपाठी
घटना का विवरण:
1 सितंबर 1994 को ऊधमसिंह नगर के खटीमा में हुए गोलीकांड के बाद मसूरी के झूलाघर स्थित संयुक्त संघर्ष समिति कार्यालय के चारों ओर पीएसी और पुलिस तैनात कर दी गई थी। आंदोलनकारी क्रमिक अनशन पर बैठे थे और खटीमा गोलीकांड के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे।
इसके बावजूद पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। इस गोलीकांड में छह आंदोलनकारियों ने अपनी जान दी और कई अन्य घायल हो गए। इस दौरान एक पुलिस उपाधीक्षक की भी मृत्यु हो गई।
अदालत और न्याय की लंबी लड़ाई:
गोलीकांड के बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी। पूरे शहर में अफरातफरी मच गई। पांच आंदोलनकारी एक ही शाम गिरफ्तार कर देहरादून भेजे गए और वहां से बरेली सेंट्रल जेल भेजे गए। वर्षों तक आंदोलनकारियों को विभिन्न मुकदमों और सीबीआइ जांचों का सामना करना पड़ा।
Pahadpan News आज 2 सितंबर 2025 को उन शहीदों को नमन करता है, जिनकी कुर्बानी से उत्तराखंड को अपना राज्य प्राप्त हुआ। हम उनके साहस, संघर्ष और बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे और उनकी याद हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।
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