देहरादून।
राष्ट्रवादी दल राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी (RRP) के संयोजक और वरिष्ठ पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल ने फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए उत्तराखंड में हो रहे असली डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा उठाया है।
उनका कहना है कि असली बदलाव यह नहीं है कि मुस्लिम समुदाय की बड़ी संख्या उत्तराखंड में आ रही है, बल्कि यह है कि दिल्ली स्थित राजनीतिक दल उत्तराखंड की राजनीति में स्थानीय निकायों के आरक्षित सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतार रहे हैं, जिनकी जातियां राज्य की रिजर्व कैटेगरी में नहीं आतीं।
शिव प्रसाद सेमवाल ने इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया है कि दिल्ली वाले दल, जो अपनी राजनीतिक स्वार्थों के लिए उत्तराखंड की राजनीति में हस्तक्षेप कर रहे हैं, उन्होंने राज्य के स्थानीय मुद्दों और जनसांख्यिकीय संरचना की अनदेखी की है।
उनका कहना है कि यह कदम न केवल राज्य की राजनीति को विकृत करता है, बल्कि उत्तराखंड के लोगों की इच्छाओं और उनके अधिकारों का उल्लंघन भी है।
उनके मुताबिक, यह कदम राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा के खिलाफ है। वे यह भी मानते हैं कि उत्तराखंड के लोग अगर किसी भी दल को समर्थन देते हैं, तो उन्हें एक गुलाम के रूप में नहीं बनना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए। संयोजक ने विशेष रूप से सड़क से लेकर विधानसभा तक इस मुद्दे पर विरोध और संघर्ष की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि उत्तराखंड की राजनीति में बाहरी हस्तक्षेप को रोका जा सके।
RRP ने दिल्ली आधारित राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि वे उत्तराखंड के स्थानीय मुद्दों और उसकी संस्कृति का सम्मान करें, क्योंकि उत्तराखंड का समृद्ध इतिहास और इसकी सामाजिक संरचना एक अनूठा हिस्सा है जिसे बचाए रखना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि केवल क्षेत्रीय दल ही राज्य के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान दे सकते हैं और उत्तराखंड के विकास की दिशा सही तरीके से तय कर सकते हैं।
पहाड़पन के सूत्र
पहाड़पन के सूत्र बताते हैं कि जल्द ही उत्तराखंड के भीतर एक राजनीतिक बदलाव आ सकता हैं,शिव प्रसाद सेमवाल एक बड़ी तैयारी राजनीति बदलाव के लिए कर रहें हैं,और एक बड़ा ऐलान उनके द्वारा किया जाने वाला हैं।
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