स्थान – नैनीडांडा, पौड़ी गढ़वाल
रिपोर्ट – पहाड़पन न्यूज़
नैनीडांडा ब्लॉक का एकमात्र 30 बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों बदहाल व्यवस्थाओं और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन गया है। अस्पताल में न डॉक्टर मौजूद हैं, न एक्स-रे टेक्नीशियन और न ही दंत चिकित्सक। अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि मरीजों को एक्सपायरी दवाइयां दी जा रही हैं।
यह वही अस्पताल है, जिस पर करीब 300 गांवों की स्वास्थ्य जरूरतें निर्भर हैं। लेकिन यहां ना जांच की सुविधा है, ना इलाज का भरोसा। हाल ही में एक मरीज को दी गई एक्सपायरी दवा ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल केवल रेफर सेंटर बनकर रह गया है — इलाज के नाम पर सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति होती है।
हर साल इस अस्पताल के लिए करोड़ों रुपये का बजट आता है, लेकिन नतीजा यह है कि कोई भी मरीज यहां से इलाज कराकर ठीक नहीं होता। मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से इस मामले की जांच की मांग की है। लोगों का सवाल है कि जब सरकार ‘स्वस्थ उत्तराखंड’ की बात करती है, तो ऐसी घटनाएं उस दावे को कैसे सही ठहराती हैं?
पहाड़पन न्यूज़ इस गंभीर लापरवाही को उजागर करता है और मांग करता है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए।
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