डिजिटल पत्रकार अब ‘झोलाछाप’ नहीं कहे जाएंगे: केंद्र सरकार ने दी कानूनी स्पष्टता,पीयूष जोशी की शिकायतों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का जवाब

नई दिल्ली, 21 मई 2025:

अब डिजिटल और सोशल मीडिया पर कार्यरत पत्रकारों को ‘झोलाछाप’ कहकर खारिज नहीं किया जा सकेगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल माध्यम से समाचार प्रसारित करने वाले पत्रकार भी पत्रकार की परिभाषा में आते हैं और उनके लिए आचार संहिता व नियामक ढांचे की व्यवस्था पहले से मौजूद है।

 

यह प्रतिक्रिया उत्तराखंड के सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय में दर्ज की गई तीन शिकायतों के बाद सामने आई। जोशी ने मांग की थी कि यूट्यूब चैनलों, न्यूज़ ऐप्स और डिजिटल पोर्टलों पर कार्यरत पत्रकारों को पारंपरिक पत्रकारों की तरह मान्यता, सरकारी योजनाओं व विज्ञापन नीति में सम्मिलन मिलना चाहिए।

 

मंत्रालय ने अपने पत्र में बताया कि डिजिटल पत्रकार IT नियम 2021 और Labour Codes 2020 के अंतर्गत पत्रकार माने जाते हैं और उनके लिए त्रिस्तरीय शिकायत निवारण तंत्र भी मौजूद है। हालांकि CGHS, रेल रियायत, बेरोज़गारी भत्ता जैसी योजनाओं में इन्हें अभी लाभ नहीं मिल रहा, लेकिन सरकार इसमें बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।

 

केंद्र सरकार जहां अब तक विज्ञापन मुख्य रूप से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को देती रही है, वहीं कर्नाटक जैसे राज्य पहले ही डिजिटल पत्रकारों के लिए अलग दिशानिर्देश लागू कर चुके हैं।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि पत्रकारिता का स्वरूप बदल चुका है और अब डिजिटल मीडिया को नज़रअंदाज़ करना लोकतंत्र के लिए हानिकारक होगा। यह पहल पत्रकारों की बराबरी, सुरक्षा और सम्मान की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

 

पहाड़पन की खबरें आपको कैसी लगती हैं? हमें व्हाट्सएप पर अवश्य साझा कीजिए!

📞 +917409347010

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!