रुद्रप्रयाग: त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। ग्राम पंचायत देवशाल, जो कि पंचायत निर्वाचन प्रक्रिया का सक्रिय भाग है, जिला पंचायत की वार्ड सूची से ही नदारद है। इससे न केवल स्थानीय ग्रामीणों में असमंजस फैला है, बल्कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
किस वार्ड में आता है देवशाल? – खुद ग्रामीण भी नहीं जानते
चुनाव आयोग द्वारा जारी पंचायत निर्वाचक नामावली के अनुसार, ग्राम पंचायत देवशाल का क्षेत्र पंचायत वार्ड, ग्राम पंचायत रुद्रपुर के अंतर्गत आता है, और जिला पंचायत त्रियुगीनारायण वार्ड में इसका उल्लेख किया गया है। लेकिन जब ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला पंचायत वार्ड क्रमांक 1 (त्रियुगीनारायण) और 2 (ल्वारा) की आधिकारिक गांव सूची को खंगाला, तो उसमें देवशाल का कोई नामोनिशान नहीं मिला।
ग्रामीणों में भ्रम और आक्रोश
देवशाल के ग्रामीणों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में वे नारायणकोटि में वोट डालते हैं, और ग्राम पंचायत चुनाव में अपने ही गांव में। अब जिला पंचायत चुनाव के लिए जब वे अपना प्रतिनिधि चुनना चाहें, तो उन्हें ये ही नहीं पता कि वे किस जिला पंचायत वार्ड के अंतर्गत आते हैं — त्रियुगीनारायण या ल्वारा?
स्थानीय स्तर पर भी मतभेद सामने आ रहे हैं। कुछ ग्रामीणों का मानना है कि देवशाल को वार्ड क्रमांक दो – ल्वारा में जोड़ा गया है, जबकि निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड में यह स्पष्ट नहीं है। यह स्थिति गांव के मतदाताओं के मतदान अधिकार पर सीधा प्रश्नचिन्ह लगाती है।
चुनाव आयोग से मांग: जल्द दे स्थिति स्पष्टता
देवशाल की स्थिति को लेकर अब ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की ओर से निर्वाचन आयोग से स्पष्टता की मांग की जा रही है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही स्थिति स्पष्ट नहीं की गई, तो चुनाव बहिष्कार जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
यह प्रशासनिक चूक केवल एक गांव की नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गहरी चोट है। चुनाव आयोग को इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेकर देवशाल गांव की स्पष्ट स्थिति जारी करनी चाहिए, ताकि ग्रामीण भ्रम की स्थिति से बाहर आ सकें और निष्पक्ष मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके।
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