“जन जागरूकता या सांस्कृतिक दमन? – नोलियागांव में भांग की परंपरागत खेती नष्ट कर प्रशासन ने क्या पहाड़ की विरासत पर ही चला दिया प्रहार?”

चंपावत — रीठा साहिब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नोलियागांव में चंपावत पुलिस द्वारा जन जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान ग्रामीणों को नशा मुक्ति, साइबर अपराध और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जागरूक किया गया। इसके साथ ही पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 10 नाली ज़मीन पर हो रही अवैध भांग की खेती को नष्ट कर दिया।

 

पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई नशा उन्मूलन अभियान के अंतर्गत की गई है, जिससे समाज को नशे की बुरी लत से बचाया जा सके।

 

स्थानीय विरोध भी आया सामने

इस कार्रवाई के बाद फेसबुक पर एक उपयोगकर्ता और रानीखेत निवासी नीरज फर्त्याल ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की नीति पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने लिखा:

 

“भांग के बीज आज बाजार में 300 से 600 रुपये किलो तक बिक रहे हैं। क्या सरकार ने इसका कोई वैकल्पिक समाधान खोजा है? सदियों से मूल उत्तराखंडी इस पौधे को अपने खानपान और औषधीय जीवनशैली में इस्तेमाल करता आ रहा है।

यहां भांग के दाने की चटनी, पीसी नून और पारंपरिक व्यंजन आज भी लोगों की थाली का हिस्सा हैं।

भांग के बीज हड्डियों और जोड़ों के लिए रामबाण हैं, इसकी छाल से वस्त्र बनते हैं — यह पौधा हमारे लिए आशीर्वाद है, न कि अभिशाप।”

 

परंपरा बनाम कानून – बहस तेज

प्रशासन की नजर में यह कार्रवाई कानून सम्मत और नशे के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है, जबकि स्थानीय समुदाय का एक वर्ग इसे अपनी संस्कृति और पारंपरिक जीवनशैली पर प्रहार मान रहा है।

 

यह मामला अब उस बड़े सवाल की ओर इशारा करता है – क्या परंपरागत पहाड़ी खेती को बिना संवाद और विकल्प के नष्ट करना उचित है?

 

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