चांदनी सफारी जोन के विरोध में क्यारी, छोई के बाद कल गैबुआ में महापंचायत, ग्रामीणों में उबाल

“प्रकृति से खिलवाड़ गलत, ग्रामीणों का विरोध जायज”

 

रामनगर, 15 फरवरी 2025 – उत्तराखंड के रामनगर क्षेत्र में प्रस्तावित चांदनी सफारी जोन को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुँचेगा और क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएँ बढ़ेंगी। इस फैसले के विरोध में कल, 16 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे प्राइमरी पाठशाला, गेबुआ खास में जन आक्रोश महापंचायत बुलाई गई है।

 

इस महापंचायत में क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों, पर्यावरणविदों और जनप्रतिनिधियों के भी शामिल होने की संभावना है।

 

 

क्यारी गांव से शुरू हुआ विरोध, अब बनेगा जनांदोलन

चांदनी सफारी जोन के खिलाफ ग्रामीणों के विरोध की शुरुआत क्यारी गांव से ग्राम प्रधान नवीन सती के नेतृत्व में हुई थी। पहली पंचायत 13 जनवरी को क्यारी गांव में हुई, जिसके बाद आंदोलन को मजबूती देने के लिए छोई में पंचायत का आयोजन किया गया।

 

ग्राम प्रधान नवीन सती ने कहा कि आंदोलन को अब व्यापक रूप दिया जाएगा और कल की महापंचायत को सफल बनाने के लिए ग्रामीणों से लगातार संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जरूरत पड़ी, तो प्रदेश के सभी आंदोलनकारियों को साथ लाकर इसे एक जनांदोलन का रूप दिया जाएगा।

 

 

किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष भी हो सकते हैं शामिल

सूत्रों के अनुसार, इस महापंचायत में किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष, किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय भी शामिल हो सकते हैं। कार्तिक उपाध्याय ने पूर्व में रिंग रोड परियोजना के विरोध में व्यापक आंदोलन किया था, जिसके चलते प्रशासन को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा था। यदि वे इस महापंचायत में शामिल होते हैं, तो आंदोलन को और मजबूती मिल सकती है।

 

इसके अलावा, कई अन्य सामाजिक संगठनों, वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञों और स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के भी इस महापंचायत में शामिल होने की संभावना है।

 

 

ग्रामीणों की आपत्तियाँ और महापंचायत का उद्देश्य

वन्यजीवों और पर्यावरण पर खतरा – ग्रामीणों का मानना है कि सफारी जोन बनने से जंगलों में मानवीय दखल बढ़ेगा, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ेगा और वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट होगा।

 

स्थानीय लोगों की आजीविका पर असर – ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह सफारी जोन बनता है, तो इससे स्थानीय निवासियों की परंपरागत आजीविका भी प्रभावित होगी, क्योंकि पर्यटन का लाभ मुख्य रूप से बाहरी व्यवसायियों को मिलेगा, जबकि स्थानीय लोग हाशिए पर चले जाएँगे।

 

बिना ग्रामीणों की सहमति के लिया गया निर्णय – ग्रामीणों का आरोप है कि यह परियोजना बिना स्थानीय लोगों की राय जाने बनाई जा रही है, जो पूरी तरह से गलत है।

 

 

महापंचायत का उद्देश्य:

सरकार से इस परियोजना को तुरंत रद्द करने की माँग।

 

यदि माँगें पूरी नहीं होतीं, तो आगामी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।

 

वन एवं पर्यावरण विशेषज्ञों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की माँग की जाएगी।

 

 

 

क्या कह रहे हैं ग्रामीण?

ग्रामवासियों का स्पष्ट कहना है कि वे अपनी जमीन, जंगल और पारंपरिक जीवनशैली की सुरक्षा के लिए संघर्ष करेंगे।

 

✔ ग्राम प्रधान नवीन सती का बयान – “यह केवल क्यारी या छोई गाँव का मुद्दा नहीं है, यह पूरे क्षेत्र का सवाल है। हम सरकार को यह बताना चाहते हैं कि यह परियोजना हमें स्वीकार नहीं है।”

 

✔ एक ग्रामीण बुजुर्ग ने कहा – “हमारी पीढ़ियाँ इस जंगल के सहारे पली-बढ़ी हैं। सरकार की यह योजना हमारे अस्तित्व को खतरे में डाल रही है।”

 

✔ एक महिला समूह की सदस्य ने कहा – “हम महिलाएँ इस जंगल पर निर्भर हैं। यह हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करता है। हम इस सफारी जोन का विरोध जारी रखेंगे।”

 

 

महापंचायत में क्या होगा खास?

प्रस्तावित चांदनी सफारी जोन के विरोध में रणनीति तैयार की जाएगी।

 

बड़ी संख्या में किसान व स्थानीय संगठनों के नेता अपनी राय रखेंगे।

 

सरकार को स्पष्ट संदेश दिया जाएगा कि ग्रामीण इस परियोजना को स्वीकार नहीं करेंगे।

 

जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों का समर्थन जुटाने के प्रयास होंगे।

 

वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों को बुलाने की माँग की जाएगी।

 

यदि माँगें पूरी नहीं होतीं, तो आगामी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।

 

 

क्या हो सकता है आगे?

इस महापंचायत के बाद ग्रामीण आंदोलन को और तेज करने की रणनीति बना सकते हैं। यदि प्रशासन इस पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाता, तो ग्रामीण विधानसभा, वन विभाग और अन्य बड़े प्रशासनिक कार्यालयों के सामने प्रदर्शन करने का निर्णय भी ले सकते हैं।

 

✔ आंदोलन का विस्तार हो सकता है – यदि सरकार चुप्पी साधे रहती है, तो आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है।

✔ किसान संगठन भी सक्रिय हो सकते हैं – किसान संगठनों द्वारा इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की संभावना है।

✔ अगली बैठक तय हो सकती है – यदि सरकार से वार्ता विफल रहती है, तो ग्रामीण नई रणनीति बनाने के लिए अगली महापंचायत आयोजित कर सकते हैं।

 

कल होने वाली महापंचायत महत्वपूर्ण क्यों?

इस महापंचायत में बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की संभावना है। यदि किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष कार्तिक उपाध्याय और अन्य जनप्रतिनिधि इसमें शामिल होते हैं, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।

 

अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है और ग्रामीणों की माँगों पर क्या फैसला लिया जाता है।

 

 

क्या सरकार सुनेगी जनता की आवाज़?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस आंदोलन को कैसे देखता है। क्या सरकार चांदनी सफारी जोन पर पुनर्विचार करेगी या ग्रामीणों को संघर्ष के लिए मजबूर करेगी?

 

इस मुद्दे पर राज्य सरकार और वन विभाग की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।

 

 

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