चमोली: वर्षों से पुल की मांग, ग्रामीण अब भी जोखिम भरे रास्तों से कर रहे हैं रोज़मर्रा की जद्दोजहद

चमोली, उत्तराखंड।

उत्तराखंड के चमोली ज़िले से एक बार फिर बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर करती तस्वीर सामने आई है। दशोली और नंदानगर घाट विकासखंड को जोड़ने वाले मिमराणी सकंड और एगड़ी गांव के ग्रामीण आज भी एक सुरक्षित पुल की अनुपस्थिति में नदी पार कर जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

 

ग्रामीणों को रोजमर्रा के कार्यों के लिए राशन और जरूरी सामान कंधों पर ढोकर नदी पार करनी पड़ती है। यह स्थिति न केवल जोखिम भरी है, बल्कि बरसात के मौसम में यह मार्ग और भी खतरनाक हो जाता है। बुज़ुर्ग महिलाएं और बच्चे इस स्थिति से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

 

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वे कई वर्षों से पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। विभिन्न मंचों पर अपनी बात रखने के बावजूद अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। ग्रामीणों का कहना है कि उनका जीवन मुख्यतः सरकारी राशन पर निर्भर है, और इस कठिन रास्ते के कारण वे कई बार जरूरी सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं।

 

इस समस्या पर कर्णप्रयाग के युवा छात्र नेता एवं ABVP के नगर SFS संयोजक यश खंडूड़ी ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने प्रशासन से इस मुद्दे पर शीघ्र संज्ञान लेने की अपील की है। यश खंडूड़ी ने बताया कि वे स्वयं इस विषय को जिलाधिकारी चमोली और माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे ताकि जल्द समाधान निकाला जा सके।

 

उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र के प्रतिनिधियों को ज़मीनी समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। पंचायत चुनावों में विकास के वादे करने वाले जनप्रतिनिधियों से भी अपील की गई है कि वे इस आवश्यक कार्य को प्राथमिकता दें।

 

यह मामला एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की स्थिति को उजागर करता है। ऐसे में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे जनहित से जुड़े इस विषय पर शीघ्र और सकारात्मक कार्रवाई करें, जिससे स्थानीय लोगों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन मिल सके।

 

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