गौरीकुंड, उत्तराखंड:
गौरीकुंड क्षेत्र में एक स्थानीय युवक पर नेपाली मूल के श्रमिकों द्वारा किए गए हमले ने स्थानीय निवासियों में आक्रोश और चिंता दोनों पैदा कर दी है। घटना बीती रात की है, जब शराब के नशे में धुत कुछ श्रमिकों ने एक स्थानीय युवक के कमरे का दरवाज़ा तोड़कर उस पर और उसके साथियों पर जानलेवा हमला कर दिया। हमले में युवक गंभीर रूप से घायल हुआ है और उसकी नाक की हड्डी टूटने की सूचना है।
बताया जा रहा है कि श्रमिकों द्वारा अत्यधिक शराब के सेवन के बाद किए गए हल्ले और हुड़दंग की शिकायत मकान मालिक तक पहुंची थी। मकान मालिक द्वारा उन्हें शांत रहने और बाहर न आने की चेतावनी दी गई, जिसके बाद उन्होंने यह मान लिया कि शिकायत स्थानीय युवक ने की है। इसी ग़लतफहमी के चलते श्रमिकों ने युवक पर हमला किया।
स्थानीय युवक का आरोप है कि उसे और उसके साथियों को जान से मारने की नीयत से पीटा गया और अब भी उसे अपनी जान को खतरा है। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि श्रमिकों को इतनी हिम्मत आखिर क्यों और कैसे मिल रही है?
स्थानीय समाज में यह चिंता गहराती जा रही है कि कहीं आर्थिक मजबूरी में दिए गए आवास अब सामाजिक और व्यक्तिगत सुरक्षा पर भारी न पड़ जाएँ। एक ओर जहाँ स्थानीय व्यवसाय पहले ही संघर्ष कर रहे हैं, वहीं अब आम जनमानस की सुरक्षा भी संकट में दिख रही है।
घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस को दे दी गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़ित युवक और उसके परिवार ने उत्तराखंड पुलिस से तत्काल हस्तक्षेप और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
अब सवाल यह उठता है:
क्या हम अपने ही घर में असुरक्षित हो गए हैं? कब जागेगा प्रशासन? और कब मिलेगी स्थानीय लोगों को वह सुरक्षा, जिसके वे हकदार हैं?
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