गोपेश्वर नगर पालिका भवन निर्माण में नियमों की अनदेखी, जांच की माँग
गोपेश्वर: गोपेश्वर नगर पालिका भवन की पाँचवीं मंज़िल पर करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य में कथित नियमों की अनदेखी उजागर हुई है। इस पूरे मामले को सबसे पहले अनुप पुरोहित ने उठाया और प्रशासन के ध्यान में लाया।
सूत्रों के अनुसार, लगभग 4000 वर्ग फीट के इस निर्माण कार्य को बिना टेंडर, बिना ई-टेंडर प्रक्रिया और बिना प्रतिस्पर्धी निविदा के सीधे एक व्यक्ति को दिया गया। उत्तराखंड सरकार के वित्तीय नियम और नगर पालिका अधिनियम के तहत ₹5 लाख से अधिक के कार्य के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया अनिवार्य है।
पालिका प्रशासन के दस्तावेज़ों के अनुसार, इस निर्माण कार्य को केवल पालिका बोर्ड प्रस्ताव संख्या 11 (दिनांक 26-03-2025) के आधार पर मंजूरी दी गई। वहीं, एसडीएम ने पहले ही निर्माण कार्य को रोकने के आदेश जारी किए थे।
इस मामले से जनता और प्रशासन के बीच दोहरा मापदंड सामने आया है। आम नागरिकों को अपने घर की दूसरी मंज़िल बनाने में कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जबकि नगर पालिका के अपने भवन निर्माण में नियमों की अनदेखी हुई।
विशेषज्ञ और नागरिक समूह इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और व्यापक जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
कानूनी पहलू:
धारा 420 (धोखाधड़ी)
धारा 409 (सरकारी धन का दुरुपयोग)
धारा 467, 468, 471 (फर्जीवाड़ा, कूटरचना)
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 13
यदि जांच और कार्यवाही नहीं हुई, तो मामला उच्च न्यायालय नैनीताल में उठाया जाएगा।
निष्कर्ष:
इस पूरे प्रकरण ने पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल उठाए हैं। अनुप पुरोहित जैसे नागरिकों द्वारा मामले को उजागर करने के बाद अब प्रशासन पर जवाबदेही और उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ गया है
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