पहाड़पन न्यूज :-गैरसैंण
उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र गैरसैंण में शुरू हो चुका है और पहले ही दिन राजधानी को लेकर माहौल गरमाने लगा है। गैरसैंण स्थायी राजधानी आंदोलनकारियों ने साफ कर दिया है कि यह सत्र सरकार और विधायकों की असली परीक्षा है।
धरना स्थल पर किसान मंच और जनसंगठनों से जुड़े आंदोलनकारियों ने एलान किया कि 19 से 21 अगस्त तक आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्वक और संयमित रहेगा। लेकिन 22 अगस्त को यदि गैरसैंण को राजधानी बनाने का विधेयक सदन में नहीं आया, तो सभी 70 विधायकों के पुतलों का ऐतिहासिक सामूहिक दहन गैरसैंण में किया जाएगा।
अमर शहीद वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा के समक्ष जुटे आंदोलनकारियों ने कहा कि अब यह लड़ाई उत्तराखंड की अस्मिता और भविष्य से जुड़ी है। जनता 25 साल से इस मांग को सुनती आ रही है, लेकिन अब और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष कार्तिक उपाध्याय ने कहा
“हमने तीन दिन तक सरकार को मौका देने का निर्णय लिया है। लेकिन चौथे दिन तक यदि राजधानी गैरसैंण नहीं बनी तो विधायक जनता के आक्रोश का सामना करेंगे।”
पूर्व सैनिक भुवन कठायत ने कहा
“सीमा पर देश की रक्षा की, अब पहाड़ की अस्मिता बचाना कर्तव्य है। सरकार ने यदि गंभीरता नहीं दिखाई तो आंदोलन निर्णायक चरण में प्रवेश करेगा।”
सैनिकपुत्री कुसुम लता बौड़ाई बोलीं
“गैरसैंण राजधानी बनने से पलायन रुकेगा, बेटियां सुरक्षित होंगी। यदि विधायक जनता की आवाज़ दबाते रहे तो उन्हें पहाड़ विरोधी माना जाएगा।”
धरना स्थल से उठे सुर एकमत थे—यह सत्र जनता की नहीं बल्कि विधायकों की असली परीक्षा है। यदि इस बार गैरसैंण को राजधानी घोषित किया गया तो विधायक इतिहास के नायक कहलाएंगे, वरना गद्दार की सूची में उनका नाम दर्ज होगा।
इस बीच आंदोलनकारियों ने तहसीलदार गैरसैंण के माध्यम से मुख्यमंत्री और उपनेता सदन को ज्ञापन भेजकर साफ चेतावनी दी है कि अंतिम दिन तक मांग पूरी नहीं हुई तो सामूहिक पुतला दहन कर पूरे राज्य को संदेश दिया जाएगा।
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