प्रसिद्ध पत्रकार और लेखक रवीश कुमार ने अभी अभी एक सार्वजनिक बयान जारी कर इंटरव्यू न देने का ऐलान किया है, उनका कहना है कि इंटरव्यू लेने और देने की प्रक्रिया को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, लेकिन आज यह केवल एक औपचारिकता बनकर रह गई है।
रवीश कुमार ने कहा, “इंटरव्यू के लिए तैयारी और समय चाहिए। इसे अब इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे मॉल से शर्ट खरीदने जाना हो, ऐसे किसी का इंटरव्यू नहीं होता और न ही करना चाहिए।” उनका मानना है कि इंटरव्यू की प्रक्रिया अब पत्रकारिता का भ्रम मात्र रह गई है।
पत्रकारिता पर गंभीर सवाल
रवीश कुमार ने मौजूदा पत्रकारिता के गिरते स्तर पर भी गहरी चिंता व्यक्त की,उन्होंने कहा कि पहले रिपोर्टिंग की विधा खत्म कर दी गई, फिर ऐंकरिंग की,डिबेट के नाम पर भ्रम फैलाया गया कि पत्रकारिता हो रही है,और अब जब डिबेट की साख समाप्त हो चुकी है, तो इंटरव्यू को पत्रकारिता का आखिरी झांसा बनाकर पेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “जिनकी जवाबदेही है, वे इंटरव्यू के नाम पर रस्सी कूद रहे हैं और पुश-अप लगा रहे हैं,बिना सूचनाओं के सवाल वही होते हैं, जो नेता एक-दूसरे के लिए पैदा करते हैं।”
इंटरव्यू से दूरी का ऐलान
रवीश कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया कि उन्हें इंटरव्यू का फोन करना अब आपदा का रूप ले चुका है, उन्होंने कहा कि अगर कभी उन्हें किसी का इंटरव्यू करना होगा तो वे खुद फोन करेंगे, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इंटरव्यू के नाम पर जो हो रहा है, वह वास्तविक पत्रकारिता नहीं है।
“जो कर रहे हैं, उन्हें शुभकामनाएं”
अपने बयान के अंत में रवीश कुमार ने उन पत्रकारों को शुभकामनाएं दीं, जो अभी भी इंटरव्यू ले रहे हैं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल वे इस प्रक्रिया से खुद को अलग रख रहे हैं और उम्मीद की कि उनकी इस सार्वजनिक सूचना को समझा जाएगा।
पत्रकारिता का नया दौर?
रवीश कुमार का यह बयान मौजूदा पत्रकारिता और इंटरव्यू की प्रथा पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। यह उन पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के लिए एक आत्मनिरीक्षण का समय हो सकता है, जो पत्रकारिता की गुणवत्ता को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की खबरों के लिए आप सभी का अपना न्यूज़ पोर्टल pahadpan.com,खबरों के लिए संपर्क करें +917409347010,917088829995
Leave a Reply