हल्द्वानी।
किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत 2025 का बजट किसानों के हितों के प्रति सरकार की उपेक्षात्मक दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से उजागर किया है,उन्होंने कहा कि बजट में किसानों के वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है,जबकि कई महत्वपूर्ण सुधारों की आवश्यकता है।
1. किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ाने के बावजूद, जो एक सकारात्मक कदम है,यह पूरी तरह से अपर्याप्त है। किसानों की कर्जमाफी, एमएसपी की गारंटी और वास्तविक वित्तीय राहत की बजाय यह मात्र एक छोटी सी राहत है।
2. एमएसपी पर कोई ठोस निर्णय नहीं – किसान लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि सरकार द्वारा एमएसपी की गारंटी दी जाए,ताकि उन्हें अपनी उपज के लिए उचित मूल्य मिल सके। इस बजट में इस पर कोई उल्लेख नहीं किया गया, जो निराशाजनक है।
3. कर्ज माफी और सीधी आर्थिक सहायता का अभाव – किसानों के बढ़ते कर्ज का बोझ और आर्थिक संकट को देखते हुए,बजट में किसानों की कर्ज माफी या कोई सीधी आर्थिक सहायता का ऐलान नहीं किया गया। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत थी।
4. जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के लिए कोई राहत योजना नहीं – बेमौसम बारिश, सूखा,और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ किसानों के लिए बड़ी समस्याएँ बन चुकी हैं,इस बजट में इस पर कोई प्रभावी योजना या राहत की घोषणा नहीं की गई।
5. डीजल और उर्वरकों की कीमतों पर कोई राहत नहीं–उत्पादन लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन बजट में इन लागतों को नियंत्रित करने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाए गए हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति और बिगड़ेगी।
किसान मंच का स्पष्ट मत है कि यह बजट किसानों की वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं करता,हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह किसानों की आवाज को सुनें और उनके लिए ठोस कदम उठाए,ताकि उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके और कृषि क्षेत्र को प्रौद्योगिकी और संसाधनों से सशक्त किया जा सके।
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