उत्तराखंड में सहकारिता चुनाव की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। राज्य के विभिन्न हिस्सों से सामने आ रही अनियमितताओं ने सहकारी प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। बहुउद्देशीय सहकारी समितियों में उन लोगों को मतदाता बनाया जा रहा है, जिनके पास महज 1000 से 2000 वर्ग फीट जमीन है। यह साफ तौर पर किसानों के अधिकारों का हनन और सहकारिता व्यवस्था का मज़ाक उड़ाने जैसा है।
किसानों की सहकारी समितियाँ, जिनका उद्देश्य कृषि विकास और किसानों की बेहतरी था, अब सत्ता और रसूखदारों के खेल का अड्डा बनती जा रही हैं। जब असली किसानों की जगह गैर-किसानों को सहकारी समितियों में वोट डालने का अधिकार दिया जाएगा, तो क्या यह लोकतंत्र के खिलाफ नहीं है?
आज देश के केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री उत्तराखंड दौरे पर रहे हैं। ऐसे में किसान मंच ने सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की माँग की है। किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता भोपाल सिंह चौधरी ने कहा, “अगर किसानों के अधिकारों पर इसी तरह चोट होती रही तो हम चुप नहीं बैठेंगे। जरूरत पड़ी तो बड़ा आंदोलन करेंगे।”
उत्तराखंड सरकार और सहकारिता मंत्री को इस गंभीर स्थिति पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। सहकारिता के नाम पर हो रहे इस खेल को बंद करना जरूरी है, वरना किसानों का विश्वास पूरी तरह उठ जाएगा।
पहाड़पन की खबरें आपको कैसी लगती हैं? हमें व्हाट्सएप पर अवश्य साझा कीजिए !
अब पहाड़पन पर आप अपने व्यवसाय का भी प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।
📞 +917409347010
📞 +917088829995
Leave a Reply