कर्णप्रयाग (उत्तराखंड)।
बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कालेश्वर क्षेत्र में एक बार फिर लापरवाही और सिस्टम की सुस्ती ने एक व्यवसायी को भारी नुकसान पहुँचा दिया। बुधवार की रात करीब 1 बजे तेज बारिश के चलते बद्रिश होटल एंड रेस्ट्रोडेंट के अंदर भारी मात्रा में मलबा घुस आया। यह होटल राष्ट्रीय राजमार्ग के बिल्कुल किनारे स्थित है और लंबे समय से खतरे की जद में बताया जा रहा था, लेकिन इसके बावजूद कोई सुरक्षा या रोकथाम के उपाय नहीं किए गए।
बारिश के बाद अचानक आया मलबा होटल के सभी कमरों में घुस गया, जिससे होटल में रखे फर्नीचर, उपकरण और अन्य सामान पूरी तरह से बर्बाद हो गए। होटल के मालिक श्री आशीष डिमरी का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि एक परिवार के अस्तित्व पर संकट है। उन्होंने कहा, “मेरे छोटे-छोटे बच्चे और 85 वर्षीय वृद्ध मां इस होटल में मौजूद थे। रात के अंधेरे में जान बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी। मैं कई बार प्रशासन को लिख चुका हूं, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।”
होटल मालिक का दर्द यह भी है कि यात्रा काल से पहले उन्होंने बार-बार NH विभाग और प्रशासन को इस संभावित खतरे के बारे में सूचित किया था, लेकिन उन पत्रों पर सिर्फ औपचारिकताएं निभाई गईं, कोई एक्शन नहीं हुआ। इस पूरी घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हम किसी बड़ी त्रासदी का इंतजार कर रहे हैं?
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय छात्र नेता एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नगर संयोजक यश खंडूरी मौके पर पहुंचे और उन्होंने होटल संचालक से मुलाकात कर प्रशासनिक लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से NH विभाग और प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है। यदि जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो इसका विरोध किया जाएगा।
इधर, क्षेत्रीय विधायक श्री अनिल नौटियाल को भी इस घटना की सूचना दी गई, जिनका कहना है कि उन्होंने उपजिलाधिकारी कर्णप्रयाग को इसकी जानकारी दे दी है। उपजिलाधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग को सूचित कर दिया गया है और जल्द से जल्द राहत कार्य शुरू करवाया जाएगा। उन्होंने यह भी माना कि यह घटना NH विभाग की लापरवाही से हुई है और संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेज दिया गया है। यदि इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होती है, तो उन पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर जबरदस्त गुस्सा है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग कहने भर के लिए है, जबकि असल में इसकी देखरेख और निगरानी का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। स्थानीय निवासी रोहित बिष्ट का कहना है, “हर बार बरसात में ऐसी घटनाएं होती हैं। लेकिन विभाग और प्रशासन सिर्फ कागज़ों पर सक्रिय रहते हैं। क्या कोई बड़ी जनहानि होने के बाद ही कार्रवाई होगी?”
लोगों की मांग है कि इस क्षेत्र में तत्काल भूस्खलन रोकने की ठोस व्यवस्था की जाए, और होटल संचालक को मुआवजा दिया जाए ताकि वे अपना जीवन फिर से पटरी पर ला सकें। साथ ही NH विभाग के दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह घटना फिर एक बार यह साबित करती है कि उत्तराखंड जैसे संवेदनशील पर्वतीय राज्य में लापरवाही का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। लेकिन जब तक जवाबदेही तय नहीं होती, तब तक ऐसी त्रासदियां यूं ही दोहराई जाती रहेंगी।
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