देहरादून।
महिला सुरक्षा को लेकर जारी एक सर्वे रिपोर्ट ने राजधानी देहरादून की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पी वैल्यू एनालिटिक्स (P Value Analytics) नामक संस्था ने अपनी नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स 2025 (NARI 2025) में दावा किया है कि देहरादून देश के 31 शहरों में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहरों की सूची में शामिल है। हालांकि, इस रिपोर्ट को राज्य महिला आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
सर्वे के अनुसार देहरादून महिलाओं के लिए देश के निचले दस असुरक्षित शहरों में गिना गया है। रिपोर्ट बताती है कि—
दिन के समय 70% महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन रात में यह आंकड़ा घटकर 44% पर आ जाता है।
14% महिलाओं ने साफ तौर पर कहा कि वे खुद को असुरक्षित मानती हैं।
सार्वजनिक परिवहन में 50% महिलाओं को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
केवल 24% महिलाओं ने शहर के महिला-अनुकूल बुनियादी ढांचे को सुरक्षित माना।
40% पीड़िताओं ने पुलिस पर भरोसा न होने के कारण शिकायत दर्ज नहीं कराई।
पुलिस के दावों पर सवाल
देहरादून पुलिस का कहना है कि वह महिला सुरक्षा के लिए गश्ती दल और सत्यापन अभियान चला रही है, लेकिन रिपोर्ट के निष्कर्ष इन दावों की पोल खोलते नज़र आ रहे हैं। सवाल यह है कि जब आधिकारिक आंकड़ों में ही महिलाएं खुद को असुरक्षित बता रही हैं, तो पुलिस की कोशिशें जमीनी स्तर पर क्यों असरदार साबित नहीं हो रहीं।
महिला आयोग ने रिपोर्ट को नकारा
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग ने इस सर्वे रिपोर्ट को पूरी तरह नकारते हुए कहा है कि यह देहरादून की छवि धूमिल करने की कोशिश है। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि केवल 12,770 महिलाओं पर आधारित सर्वे से 31 शहरों की सुरक्षा व्यवस्था पर निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और प्रशासन महिला सुरक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अत्यंत संवेदनशील हैं।
‘देहरादून की छवि धूमिल करने की कोशिश’
कुसुम कंडवाल ने साफ कहा कि महिला असुरक्षा के नाम पर राजधानी की छवि को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की जा रही है। आयोग ने इस रिपोर्ट की कॉपी तलब करने का निर्णय लिया है और आवश्यकता पड़ने पर संस्था के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
अब सवाल यह है कि देहरादून में महिला सुरक्षा को लेकर उठ रहे ये आंकड़े महज़ एक सर्वे का नतीजा हैं या फिर राजधानी की हकीकत?
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