उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का कदम,पर्वतीय समाज पर प्रभाव और चुनौतियाँ:-कार्तिक उपाध्याय

उत्तराखंड में जनवरी 2025 में भी यूसीसी लागू होने वाला हैं इसी बीच युवा आंदोलनकारी कलमकार ने पहाड़पन को एक लेख भेजा हैं कि किस तरह यूसीसी से राज्य के भीतर बदलाव होंगे।

यह मेरे व्यक्तिगत विचार हैं,कोई आहत न हो पर विचार करें,उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है, जिसका उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान नियम और कानून बनाना है। इस कानून के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति का अधिकार, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे मामलों में सभी नागरिकों के लिए एक समान प्रावधान होंगे, जो धर्म, जाति या समुदाय से परे होंगे। हालांकि, पर्वतीय जनपदों में रहने वाले विभिन्न जातियों और समुदायों के लिए यह निर्णय कुछ सांस्कृतिक और पारंपरिक बदलावों की ओर इशारा करता है।

पर्वतीय समाज पर यूसीसी के प्रभाव:

1. पारंपरिक रीति-रिवाजों पर असर :
पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक जातियों के अपने पारंपरिक रीति-रिवाज हैं, जैसे विवाह, परिवार की संरचना, विरासत का बंटवारा आदि। यूसीसी लागू होने पर यह सवाल उठ सकता है कि क्या इन पारंपरिक प्रथाओं को कानून के तहत समान रूप से देखा जाएगा, जो कि इन समुदायों के सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समस्या पैदा कर सकता है।

2. भूमि और संपत्ति के अधिकार :
पर्वतीय समाज में भूमि और संपत्ति का बंटवारा अक्सर पारंपरिक और सामुदायिक तरीके से होता है। यूसीसी के तहत यदि भूमि और संपत्ति से संबंधित नियम समान किए जाते हैं, तो यह पारंपरिक अधिकारों और स्थानीय समुदायों की स्वायत्तता पर प्रभाव डाल सकता है। खासकर, छोटे समुदायों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि वे अपने इतिहास और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अलग तरह से भूमि का प्रबंधन करते हैं।

3. जातीय और सामाजिक संघर्ष :
पर्वतीय समाज में विभिन्न जातियाँ और समुदाय आपस में सांस्कृतिक, जातीय और धार्मिक दृष्टिकोण से विविध हैं। यूसीसी का उद्देश्य समानता प्रदान करना हो सकता है, लेकिन कुछ समूहों को यह महसूस हो सकता है कि उनके विशेष सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों पर आक्रमण हो रहा है। इस स्थिति में समुदायों के बीच तनाव और संघर्ष पैदा हो सकता है, खासकर यदि किसी जाति या समुदाय के अधिकारों को समान बनाने की कोशिश की जाती है।

4. महिलाओं के अधिकारों पर प्रभाव :
पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति पर भी यूसीसी का असर हो सकता है, खासकर उन समुदायों में जहां महिलाओं की संपत्ति और विवाह से जुड़े अधिकार पुरुषों की तुलना में अलग होते हैं। यूसीसी के तहत विवाह, तलाक और संपत्ति के अधिकारों को समान बनाने से कुछ समुदायों में महिलाओं को अधिक अधिकार मिल सकते हैं, लेकिन यह भी हो सकता है कि कुछ पारंपरिक समुदाय इसे अपने सामाजिक ढांचे के खिलाफ मानें।

5. धार्मिक और जातीय विविधता का सम्मान :
पर्वतीय क्षेत्रों में धर्म और जाति की विविधता भी एक बड़ी चुनौती हो सकती है,कई लोग यह मानते हैं कि यूसीसी के लागू होने से उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर खतरा आ सकता है, क्योंकि विभिन्न समुदायों की विशेष धार्मिक परंपराएँ हैं, जिन्हें यूसीसी के समान नियमों से प्रभावित किया जा सकता है।

6. संवेदनशील समुदायों पर प्रभाव :
पर्वतीय इलाकों में कुछ छोटे और संवेदनशील समुदाय (जैसे गढ़वाली, कुमाऊंनी, आदि) अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। यूसीसी का समावेशी दृष्टिकोण इन्हें प्रभावित कर सकता है, क्योंकि वे चाहते हैं कि उनकी विशिष्टता और सांस्कृतिक विविधता को सम्मान मिले।

निष्कर्ष :

यूसीसी लागू होने से पर्वतीय समाज की विभिन्न जातियाँ और समुदाय प्रभावित हो सकते हैं,क्योंकि उनके रीति-रिवाज, सांस्कृतिक परंपराएँ और धार्मिक विश्वास यूसीसी के समान प्रावधानों से भिन्न हो सकते हैं,इसलिए,इन समुदायों के अधिकारों और परंपराओं का सम्मान करते हुए एक समावेशी और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक होगा।

~ अब पहाड़पन वेब पोर्टल पर कुछ लेखों के साथ आपके बीच,किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय

पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की खबरों के लिए आप सभी का अपना न्यूज़ पोर्टल pahadpan.com,खबरों के लिए संपर्क करें +917409347010,917088829995

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!