देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद, राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पहले जोड़े को आधिकारिक मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी तब दी गई जब तीन जोड़ों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया था, जिनमें से दो जोड़े देहरादून के थे।
लिव-इन पंजीकरण के लिए आवश्यक प्रक्रिया
UCC के नए प्रावधानों के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को 16 पेज का फॉर्म भरना अनिवार्य होता है। इसमें व्यक्तिगत जानकारी, रिश्ते की सहमति, और कानूनी दायित्वों से संबंधित विवरण शामिल होते हैं।
नैतिकता उल्लंघन पर आवेदन निरस्त करने का प्रावधान
अगर कोई आवेदन नैतिकता के उल्लंघन या गलत जानकारी देने के कारण संदिग्ध पाया जाता है, तो जिला प्रशासन को इसे अस्वीकार करने का अधिकार है।
UCC के तहत अधिकार और दंड
• पंजीकरण न कराने पर तीन महीने की सजा या 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
• गलत जानकारी देने या तथ्यों को छिपाने पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना और तीन महीने की सजा हो सकती है।
क्या है UCC में लिव-इन रिलेशनशिप की परिभाषा?
UCC के तहत लिव-इन रिलेशनशिप को उन जोड़ों के सह-अस्तित्व के रूप में परिभाषित किया गया है, जो विवाह के बिना एक साथ रहते हैं। राज्य सरकार ने इस कानून को नैतिकता और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है।
यह कदम राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी रूप से मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। इससे संबंधित अधिक जानकारी और भविष्य में इस कानून के प्रभाव पर नजर रखी जाएगी।
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