देहरादून, 19 फरवरी 2025 – उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने राज्य के भू-कानून में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिससे 11 जिलों में बाहरी लोगों के लिए कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर प्रतिबंध लग सकता है। इस फैसले के बाद प्रदेश में उत्साह और विरोध दोनों देखने को मिल रहे हैं, लेकिन जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देने से पहले यह समझना जरूरी है कि कानून बनने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है। इसे लागू होने में कई अहम चरण बाकी हैं।
कैसे बनता है नया कानून?
1. कैबिनेट से मंजूरी
विधेयक (Bill) का प्रारूप तैयार कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट में पेश किया गया।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद यह अब राज्य विधानसभा (Vidhan Sabha) में जाएगा।
2. विधानसभा में बहस और मतदान
विधानसभा में विधेयक को प्रस्तुत किया जाएगा, जहां इस पर विस्तृत चर्चा होगी।
यदि जरूरी समझा गया, तो इसमें संशोधन (Amendment) किए जा सकते हैं।
विधायकों का बहुमत (Majority) मिलने के बाद ही यह पास होगा।
3. राज्यपाल की स्वीकृति
विधानसभा में पास होने के बाद यह विधेयक राज्यपाल (Governor) के पास भेजा जाएगा।
राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इसे आधिकारिक राजपत्र (Gazette) में प्रकाशित किया जाएगा।
4. अधिसूचना जारी होते ही होगा लागू
सरकार जब इसकी अधिसूचना (Notification) जारी करेगी, तभी यह कानून के रूप में प्रभावी होगा।
अभी प्रतिक्रिया देने से बचें, पहले पूरी प्रक्रिया समझें
भू-कानून को लेकर राज्य में अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं, लेकिन अभी इसे जल्दबाजी में अंतिम फैसला मान लेना सही नहीं होगा,और इसे पूरी तरह पढ़ने से पूर्व प्रतिक्रिया देना उचित भी नहीं क्योंकि विधानसभा सत्र जारी हैं और इसे जल्द ही सत्र में रखा जाना हैं।
सटीक जानकारी प्राप्त करें – आधिकारिक घोषणाओं का इंतजार करें।
अफवाहों पर विश्वास न करें – सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अपुष्ट खबरों से बचें।
संवैधानिक प्रक्रिया को समझें – कानून बनने के हर चरण को जानें और धैर्य बनाए रखें।
सरकार की मंशा और जनता की भागीदारी
सरकार का उद्देश्य प्रदेश की भूमि को बाहरी खरीददारों से बचाना और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अब यह देखने वाली बात होगी कि विधानसभा में इस कानून को लेकर क्या संशोधन होते हैं और यह आखिरकार किस रूप में लागू किया जाता है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में नया भू-कानून कैबिनेट से पास हो चुका है, लेकिन अभी इसे कानून बनने में कई अहम प्रक्रियाओं से गुजरना है। अतः प्रदेशवासियों को जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देने के बजाय धैर्य रखना चाहिए और आधिकारिक सूचनाओं का इंतजार करना चाहिए।
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