देहरादून
उत्तराखंड में इन दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों का माहौल पूरे जोरों पर है, लेकिन इसी बीच मौसम विभाग की लगातार जारी चेतावनियों और तेज बारिश ने स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है। राज्य के कई हिस्सों में भूस्खलन, नदियों का उफान और सड़कों के अवरुद्ध होने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं, जिससे लोगों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है।
इस आपदा जैसे माहौल ने अब चुनाव की पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों और आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है कि क्या ऐसे हालातों में चुनाव कराना संभव और सुरक्षित है? और अगर चुनाव होते भी हैं, तो क्या हर मतदाता समय पर मतदान केंद्र तक पहुंच पाएगा?
राज्य के कई जनपदों—जैसे उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर—में बारिश और भूस्खलन के चलते सड़कों का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है, जबकि कई गांवों का जिला मुख्यालयों से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि—
“जनता का जान और मतदान दोनों जरूरी है, लेकिन जब सड़क ही नहीं है, तो हम वोट डालने कैसे जाएंगे?”
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे यह संकट और गहराने की आशंका है।
अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे त्रिस्तरीय चुनाव को पारदर्शी, शांतिपूर्ण और सबके लिए सुलभ बनाया जाए — वो भी एक ऐसे वक्त में जब उत्तराखंड प्रकृति के गंभीर प्रकोप से जूझ रहा है।
हालात को देखते हुए अब चुनाव आयोग और शासन की रणनीति पर सबकी नजरें टिक गई हैं।
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