उत्तराखंड।
उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) आधिकारिक रूप से लागू हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस ऐतिहासिक कदम की घोषणा करते हुए इसे राज्य के नागरिकों के लिए समान अधिकार और दायित्व सुनिश्चित करने का माध्यम बताया। इस कानून के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक समान नियम लागू किए गए हैं।
मुख्य विशेषताएं:
1. समान विवाह आयु और नियम:
अब सभी धर्मों के पुरुष और महिलाएं समान विवाह आयु के तहत शादी कर सकते हैं। इसके साथ ही तलाक और वसीयत की प्रक्रिया को भी सरल और एकरूप बनाया गया है।
2. बहुविवाह और हलाला पर रोक:
नए प्रावधानों के तहत बहुविवाह, हलाला प्रथा, और बाल विवाह जैसी असमान प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
3. लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य:
UCC के तहत शादी के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।
लंबी प्रक्रिया के बाद हुआ लागू
इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी। समिति ने व्यापक विचार-विमर्श और रिपोर्ट तैयार की, जिसके आधार पर 7 फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा में UCC विधेयक पारित किया गया। इसके बाद 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी।
सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार
मुख्यमंत्री धामी ने UCC को किसी धर्म के खिलाफ न बताते हुए इसे राज्य के नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं को समान अधिकार देने वाला कानून कहा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह राज्य में सामाजिक समानता और सशक्तिकरण का नया युग लाएगा।
कानून को वापस लेने की संभावना नहीं:
विशेषज्ञों का कहना है कि UCC जैसे कानून को वापस लेना मुश्किल है क्योंकि इसे संसद या न्यायपालिका के जरिए ही बदला जा सकता है। राज्य सरकार के पास इसे रद्द करने का अधिकार नहीं होता।
उत्तराखंड का यह कदम पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य राज्य इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं।
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