देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में पंचायत चुनाव प्रणाली को लेकर एक नई पहल सामने आई है। टिहरी गढ़वाल के युवा मनोज कोठियाल ने 18 अगस्त को राज्यपाल को एक चार पन्नों का विस्तृत पत्र भेजकर पंचायत चुनाव प्रणाली में सुधार की मांग उठाई है। यह पत्र मुख्यमंत्री और राज्य चुनाव आयुक्त को भी भेजा गया है।
मनोज कोठियाल ने पत्र में कहा कि धनबल, खरीद-फरोख्त और सांठगांठ ने पंचायत चुनावों की पवित्रता को प्रभावित किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्यों के साथ-साथ जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव भी एक ही समय पर संपन्न कराए जाएं, ताकि सत्ता के दुरुपयोग और जोड़तोड़ की राजनीति पर रोक लग सके।
उन्होंने कहा कि धराली आपदा जैसे कठिन समय में भी कई निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता के साथ खड़े होने के बजाय जोड़तोड़ की राजनीति में व्यस्त रहे, जो लोकतंत्र और जनता की उम्मीदों के साथ अन्याय है।
पत्र में हाल ही में हुए नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव का उल्लेख करते हुए कोठियाल ने कहा कि अपहरण, गोलीबारी और अगवा जैसी घटनाएं लोकतंत्र पर गहरी चोट हैं। इस घटना से आहत होकर वरिष्ठ वकील रविंद्र सिंह बिष्ट ने भी अपना इस्तीफ़ा दे दिया। वहीं, विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दल ने इस मुद्दे को लेकर गैरसैंण में पहली बार रातभर धरना भी दिया।
माननीय उच्च न्यायालय ने भी इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रदेश में गन कल्चर और कट्टा संस्कृति पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने प्रदेश के गृह सचिव, डीजीपी और उधमसिंह नगर के एसएसपी से जवाब तलब किया है।
मनोज कोठियाल ने राज्यपाल से निवेदन किया कि वे इस विषय को गंभीरता से लेते हुए सरकार को आवश्यक सुधारों के लिए निर्देश दें। उनका कहना है कि अगर ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के साथ कराए जाएं तो धनबल और खरीद-फरोख्त पर रोक लगेगी और लोकतंत्र की पवित्रता बनी रहेगी।
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