देहरादून, 2 फरवरी 2025: उत्तराखंड की क्षेत्रीय राजनीति में बड़ा भूचाल आया है। उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के केंद्रीय संगठन सचिव (युवा) उत्तम सिंह बिष्ट ने अपने पद और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस फैसले ने पार्टी में हलचल मचा दी है।
जिलाध्यक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
उत्तम सिंह बिष्ट ने अपने इस्तीफे में यूकेडी के हल्द्वानी (नैनीताल) जिलाध्यक्ष पर अनैतिक और पक्षपातपूर्ण कार्यशैली का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर कुछ पदाधिकारी कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे हैं, जिससे संगठन की छवि खराब हो रही है।
पार्षद चुनाव में नहीं मिला सहयोग
बिष्ट ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने अपने वार्ड से यूकेडी के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें जिलाध्यक्ष से कोई सहयोग नहीं मिला। इससे वे बेहद आहत हुए और उन्हें यह कठोर निर्णय लेना पड़ा।
क्या यूकेडी संकट में है?
उत्तराखंड क्रांति दल, जो राज्य का पहला क्षेत्रीय दल है, पिछले कुछ वर्षों से अंदरूनी कलह और गुटबाजी से जूझ रहा है। लगातार बढ़ती असंतोष की भावना से पार्टी की स्थिति कमजोर होती जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूकेडी जैसे क्षेत्रीय दल उत्तराखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे राष्ट्रीय दलों के दबाव से मुक्त रहकर राज्य की असली समस्याओं को उठा सकते हैं। लेकिन अगर पार्टी अपने आंतरिक मतभेदों को नहीं सुलझा पाती है, तो उसका अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।
क्या उत्तम सिंह बिष्ट किसी अन्य क्षेत्रीय दल से जुड़ेंगे?
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि क्या उत्तम सिंह बिष्ट किसी अन्य क्षेत्रीय दल में शामिल होंगे या अपनी नई राह तलाशेंगे? उत्तराखंड में राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी(RRP),‘उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा)’ और ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ जैसे दल तेजी से उभर रहे हैं। ऐसे में बिष्ट का भविष्य क्या होगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।
हालांकि, अभी तक बिष्ट ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, उनसे एक राजनीतिक दलों ने संपर्क साधा है।
क्या यूकेडी नेतृत्व उन्हें मनाने का प्रयास करेगा?
बिष्ट के इस्तीफे के बाद यूकेडी के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बढ़ गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी उन्हें मनाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी या फिर इस इस्तीफे को यूं ही स्वीकार कर लेगी।
सूत्रों के अनुसार, यूकेडी के वरिष्ठ नेता जल्द ही बिष्ट से मुलाकात कर सकते हैं और उनकी शिकायतों को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन अगर पार्टी नेतृत्व इस मामले को हल्के में लेता है, तो यह यूकेडी के लिए और भी बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।
क्या उत्तराखंड में क्षेत्रीय दलों का भविष्य खतरे में है?
उत्तराखंड में यूकेडी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) और अन्य क्षेत्रीय दल लगातार कमजोर हो रहे हैं। इन दलों की आपसी गुटबाजी और कमजोर संगठनात्मक ढांचा इन्हें मुख्यधारा की राजनीति से दूर कर रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर क्षेत्रीय दलों को उत्तराखंड की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभानी है, तो उन्हें अपनी आंतरिक लड़ाइयों से ऊपर उठकर जनता के मुद्दों पर ध्यान देना होगा।
अब आगे क्या?
• क्या यूकेडी नेतृत्व उत्तम सिंह बिष्ट को मनाने में सफल होगा?
• क्या बिष्ट किसी अन्य क्षेत्रीय दल का दामन थामेंगे?
• यूकेडी का अगला कदम क्या होगा?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे। फिलहाल, यह इस्तीफा यूकेडी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
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