काशीपुर : उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के काशीपुर इकाई के जिलाध्यक्ष श्री जगदीश चंद्र बौड़ाई ने उत्तराखंड सरकार द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लागू करने की दिशा में कैबिनेट से मिली मंजूरी के बाद चिंता जताई है, उनके अनुसार,यूसीसी की जल्दबाजी से राज्य के स्थानीय नागरिकों और संस्कृति को खतरा हो सकता है,उन्होंने इस मुद्दे पर फेसबुक पर एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए अपने एवं पार्टी के विचार रखे।
श्री बौड़ाई ने अपने पोस्ट में लिखा,“रेस में पीछे से फर्स्ट आने वाले हैं बल हम। हमारी पीठ उन लोगों द्वारा थपथपाई जा रही है जिनका भय देश में व्याप्त है। हम उन्हें अपना शुभचिंतकों और हितैषीयों में गिना रहे हैं।”उन्होंने यूसीसी के लागू होने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य के मूल निवासी और उनकी संस्कृति को खतरा हो सकता है।
इसके बाद, बौड़ाई ने स्पष्ट किया, “हमारा मूल निवास गया हमें वो चिंता नहीं क्योंकि हम राष्ट्रवादी बने हुए हैं। हमें अन्य सब बाहरियों के बराबर स्थायी बना दिया गया। हमारा भूमि कानून की सुनी अनसुनी की गई। हमें चिंता नहीं क्योंकि हम राष्ट्रवादी हैं।”यह टिप्पणी इस बात की ओर इशारा करती है कि राज्य में बाहरी लोगों को स्थायी निवासी बनाए जाने और भूमि कानूनों की अनदेखी किए जाने पर उनका विरोध है।
यूसीसी लागू होने के बाद राज्य की भूमि पर बाहरी लोगों के अधिकारों को लेकर बौड़ाई ने अपनी चिंता जताई और कहा, “हमारी पुस्तैनी जमीन जो दस सालों से बंदरों, सुंदरों और जंगली जानवरों से नष्ट हो रही है, उसे आतंक से छुड़ाने की बजाय सरकार अपने कब्जे करने की तैयारी में है।” उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय गांवों में लव जिहाद जैसी गतिविधियां बढ़ रही हैं, और इन पर रोक लगाने के बजाय, सरकार बाहरी लोगों को स्थानीय मामलों में शामिल करने की कोशिश कर रही है।
यूसीसी के खिलाफ अपनी नाराजगी को स्पष्ट करते हुए बौड़ाई ने कहा, “इसलिए हम पर यूसीसी थोपी जा रही है। यहां बाहरी लूटेरे एक साल के अंदर स्थायी निवासी बन जाएं, इसीलिए हम पर यूसीसी थोपी जा रही है।” उनका आरोप है कि राज्य में बाहरी लोगों को एक साल के भीतर स्थायी नागरिक बनाने के लिए यूसीसी को लागू किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को नुकसान हो सकता है।
उन्होंने अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए, “हम जिस हिंदुत्व की पार्टी को तिलक लगाएं, सिर माथे पर धारण किए हुए हैं, उसने राज्य बनते ही पहले दूसरे राज्य से व्यक्ति को लाकर प्रदेश का मुखिया (नित्यानंद स्वामी- हरियाणा) बनाया।” इस पर उन्होंने उदाहरण के तौर पर हिमाचल प्रदेश का उल्लेख किया, जो उत्तराखंड से छोटा राज्य है, लेकिन जहां तरक्की का सिलसिला जारी है।
बौड़ाई ने कहा कि राज्य में हालिया विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के राजेंद्र कंडारी पर लगे आरोप-प्रत्यारोप और मंडाना के बारे में भी आरोप लगाए, जिन्होंने कई पार्टियों में रहकर राज्य में अपने राजनीतिक पांव जमाने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि ऐसी ही राजनीति से क्षेत्रीय लोगों को नुकसान हो रहा है और बाहरी तत्वों को टिकट दिए जाने से राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।
अंत में, बौड़ाई ने नगर निकाय चुनावों में बाहरी प्रभाव को नकारते हुए, लोगों से अपील की कि वे क्षेत्रीय और योग्य उम्मीदवारों को चुनावों में जिताएं,उन्होंने अपनी बात खत्म करते हुए लिखा, “नगर निकाय के चुनावों में बाहर का रास्ता दिखाएं और अपने क्षेत्रीय योग्य प्रत्याशी को जिताएं।
धन्यवाद 🙏🏻 जय हिंद 🇮🇳 जय देवभूमि उत्तराखंड।”
उनका यह पोस्ट उत्तराखंड की राजनीति में यूसीसी को लेकर एक गंभीर बहस को जन्म दे रहा है,और उनके विचार राज्य के स्थानीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के प्रति चिंता को दर्शाते हैं।
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