उत्तराखंड कुमाऊँ अंचल के लोकप्रिय लोकगायक फौजी ललित मोहन जोशी अब भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं। फौजी ललित मोहन जोशी न सिर्फ एक अनुशासित सैनिक रहे हैं, बल्कि वे उत्तराखंड के लोकसंगीत के ऐसे सितारे हैं, जिनके गीत हर पहाड़ी घर-आंगन में गूंजते हैं।
करीब दो दशकों से भी अधिक समय से अपनी सुरीली आवाज़ और दिल को छू लेने वाले गीतों के ज़रिए उन्होंने उत्तराखंडी समाज की पीड़ा, प्रेम, विरह और संस्कृति को शब्दों में सजाया है। उनका संगीत हर वर्ग के लोगों को झूमने और भावुक होने पर मजबूर कर देता है।
उनका सफर वर्ष 2001 के आसपास कैसेट युग से शुरू हुआ था और “टक टका टक कमला” जैसे सुपरहिट गीतों ने उन्हें घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया। इसके बाद तो “दूर बड़ी दूर बर्फीला डाना”, “ओ कफूवा तू डान्यू ओरा”, “हिट कमु न्हे जानू”, “हे दीपा मिजात दीपा” जैसे गीतों ने उन्हें उत्तराखंड का संगीत सितारा बना दिया।
आज उनकी फैन फॉलोइंग लाखों में है और उनके गीत न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि भारत और विदेशों में बसे प्रवासी उत्तराखंडियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय हैं। उन्होंने अपनी गायकी के ज़रिए कुमाऊँनी संस्कृति को नई पहचान दी है।
अब जब वह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो गए हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि वे पूरी तरह से अपने संगीत को समर्पित होंगे और श्रोताओं को और भी अधिक संजीदा व जीवंत गीतों का उपहार देंगे। पहाड़ की माटी से जुड़े फौजी ललित मोहन जोशी की नई संगीत यात्रा का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
पहाड़ की आत्मा को स्वर देने वाले इस लोकगायक को सलाम।
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