“उत्तराखंड की खेल व्यवस्था पर सवाल : अधिक उम्र के खिलाड़ियों का चयन कर दो टीमें बिना खेले बाहर, योग्य खिलाड़ियों का हक मारा गया”

शर्मनाक खेल : राज्य के खिलाड़ियों का भविष्य दांव पर

देहरादून।

उत्तराखंड की खेल व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सूब्रोतो कप अंडर–15 फुटबॉल चैंपियनशिप में प्रदेश की दो टीमें बिना खेले ही बाहर हो गईं। कारण – चयनित खिलाड़ियों में कई अधिक उम्र के पाए गए। यह घटना न केवल प्रदेश की साख को धक्का देती है, बल्कि योग्य खिलाड़ियों के साथ सरासर अन्याय भी है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर टीम चुनने वालों को यह भी नहीं पता कि जिन खिलाड़ियों का चयन किया जा रहा है, वे निर्धारित आयु वर्ग के हैं भी या नहीं? अगर यह बुनियादी पात्रता तक सुनिश्चित नहीं की जा रही, तो चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर कैसे भरोसा किया जाए?

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज और खेल विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की सफाई हास्यास्पद लगती है। एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने वाली टीम का चयन करना कोई मज़ाक नहीं है। यह राज्य की प्रतिष्ठा और खिलाड़ियों के भविष्य का सवाल है।

खेल विभाग, निदेशालय और कॉलेज प्रशासन में बैठे वे लोग कौन हैं जो राज्य की भद पिटवा रहे हैं और योग्य खिलाड़ियों का हक मार रहे हैं? क्या ऐसे अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही नहीं होनी चाहिए?

उत्तराखंड के हजारों युवा खिलाड़ी दिन-रात मेहनत करते हैं ताकि राज्य और देश का नाम रोशन कर सकें, लेकिन कुछ गैर-जिम्मेदार और भ्रष्ट तंत्र के चलते उनका हक छिन रहा है। यह समय है कि खेल विभाग अपनी जिम्मेदारी समझे और चयन प्रक्रिया को पारदर्शी व जवाबदेह बनाए।

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