देहरादून। उत्तराखंड सरकार की धामी कैबिनेट द्वारा मंगलवार को सख्त भू-कानून को मंजूरी दिए जाने के बाद किसान मंच प्रदेश अध्यक्ष किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कानून के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि संगठन सभी प्रावधानों का बारीकी से अध्ययन करेगा और यदि कानून में सभी मांगों को समुचित रूप से शामिल नहीं किया गया, तो संगठन सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेगा।
कार्तिक उपाध्याय ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “भू-कानून प्रदेश के संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन सिर्फ नाम के लिए कानून नहीं चलेगा। यदि हमारी मांगों के अनुरूप कानून नहीं बना, तो किसान मंच चुप नहीं बैठेगा और सरकार के खिलाफ कड़ा आंदोलन करेगा।”
किसान मंच की प्रमुख मांगें:
बाहरी व्यक्तियों के कृषि भूमि खरीद पर पूर्ण धरातलीय प्रतिबंध लगाया जाए।
हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर भू सुधार अधिनियम धारा-118 की तरह सख्त प्रावधान लागू हों।
किसानों की जमीनों की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित किए जाएं।
भूमि खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और किसी भी प्रकार की धांधली पर सख्त कार्रवाई हो।
सूत्रों के अनुसार भू-कानून के प्रमुख प्रावधान:
उत्तराखंड के 11 पहाड़ी जिलों में बाहरी व्यक्तियों के कृषि और बागवानी भूमि खरीदने पर प्रतिबंध रहेगा।
हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों में इस प्रतिबंध से छूट दी गई है।
भूमि खरीद की अनुमति प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से संचालित होगी।
बाहरी व्यक्तियों को भूमि खरीद के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़े पर लगाम लग सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि इससे राज्य की मूल पहचान बनी रहेगी और बाहरी लोगों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
हालांकि, किसान मंच सहित कई अन्य संगठनों ने सरकार की इस पहल का स्वागत तो किया है, लेकिन कानून के क्रियान्वयन और अंतिम प्रावधानों पर सभी की नजरें टिकी हैं। किसान मंच ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कानून में किसानों और प्रदेश के हितों की अनदेखी हुई, तो आंदोलन का रास्ता अपनाने से संगठन पीछे नहीं हटेगा।
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