आज उत्तराखंड के प्रखर चिंतक, प्रख्यात पहाड़वादी विचारक और उत्तराखंड आंदोलन के प्रेरणास्रोत स्व. विपिन चंद्र त्रिपाठी ‘विपिन दा’ की पुण्यतिथि पर पूरे प्रदेश में उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए जा रहे हैं।
विपिन दा केवल एक नेता नहीं थे, बल्कि वे उत्तराखंड की आत्मा के सच्चे पहरेदार थे। उन्होंने हमेशा जनता के पक्ष में खड़े होकर पहाड़ की पीड़ा को राष्ट्रीय मंच तक पहुँचाया। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दिनों में उनका योगदान अद्वितीय और अमूल्य रहा। उनकी सोच केवल सत्ता तक सीमित नहीं थी, बल्कि वे शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण और सामाजिक न्याय को लेकर भी उतने ही संवेदनशील रहे।
विपिन दा का मानना था कि उत्तराखंड राज्य केवल भौगोलिक पहचान के लिए नहीं, बल्कि यहाँ की जनता के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकारों के लिए बना है। उन्होंने हमेशा पहाड़ के किसानों, मजदूरों, युवाओं और आमजन के सवालों को उठाया और संघर्ष को दिशा दी।
आज उनकी पुण्यतिथि पर जब हम उन्हें स्मरण करते हैं, तो यह केवल एक श्रद्धांजलि का अवसर नहीं है, बल्कि उनके विचारों और संघर्षों से सीखने का भी समय है। उनका जीवन हमें बताता है कि संघर्षों के रास्ते में कठिनाइयाँ चाहे जितनी हों, लेकिन जनता के हक और उत्तराखंड की अस्मिता के लिए लड़ाई कभी नहीं रुकनी चाहिए।
पहाड़पन न्यूज़ परिवार विपिन दा को उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन करता है और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेता है।
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