कोटद्वार, 30 मई 2025 | विशेष संवाददाता
उत्तराखंड की बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार सेशन कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी पुलकित आर्य समेत तीनों दोषियों को आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सजा सुनाई है। साथ ही, अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 50-50 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया है।
तीनों दोषी — पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता — पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और धारा 201 (सबूत मिटाना) के तहत मुकदमा चला था। सुनवाई के बाद अदालत ने सभी को दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई।
जनभावनाओं के विपरीत फैसला, लोगों में असंतोष
हालांकि कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रदेशभर में न्याय की उम्मीद लगाए बैठे लोगों में गहरा असंतोष देखने को मिला है। सोशल मीडिया और विभिन्न जनमंचों पर लोगों ने इस निर्णय को “जनभावनाओं के खिलाफ” बताते हुए फांसी की सजा की मांग दोहराई है।
अंकिता भंडारी के पिता ने फैसले के बाद मीडिया से बातचीत में कहा,
“यह फैसला हमारी उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत है। जिस बेरहमी से मेरी बेटी की हत्या की गई, उसके लिए उम्रकैद नाकाफी है। हम अब भी फांसी की मांग करते हैं। मौत की सजा मौत ही होती है”
पृष्ठभूमि
सितंबर 2022 में 19 वर्षीय अंकिता भंडारी की हत्या का मामला सामने आया था। वह ऋषिकेश के निकट एक निजी रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थी। जांच में खुलासा हुआ कि उस पर अवैध गतिविधियों के लिए दबाव बनाया जा रहा था। विरोध करने पर उसकी हत्या कर दी गई और शव को चीला नहर में फेंक दिया गया।
इस घटना के बाद राज्यभर में तीव्र जनआक्रोश फैला था, जिसके बाद तत्कालीन सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था।
आगे की प्रक्रिया
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या पीड़ित परिवार या राज्य सरकार इस सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के गंभीर मामलों में सजा की पुनः समीक्षा की संभावनाएं बनी रहती हैं।
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