सच बोलना पड़ा भारी: पुलिस की तानाशाही, पत्रकार को रातों-रात हिरासत में डाल किया फोन जब्त

 

कोटद्वार।

फेसबुक पर एक टिप्पणी करने के कारण स्थानीय पत्रकार सुधांशु थपलियाल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और पूरी रात लॉकअप में रखा। पुलिस ने उनका मोबाइल जब्त कर लिया और कथित रूप से सादे कागज़ों पर ज़बरन हस्ताक्षर भी करवाए।

 

पत्रकार ने इस कार्रवाई के खिलाफ सीएम पोर्टल, पुलिस शिकायत प्राधिकरण और मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई। इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दौरे के दौरान भाजपा के कुछ पदाधिकारियों ने भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।

 

दुर्घटना के बाद निष्क्रिय रही पुलिस

घटना की शुरुआत सिंधुरी रोड पर हुए एक सड़क हादसे से हुई, जिसमें अंजली थापा नामक युवती की मौत हो गई थी। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस मामले में कार्रवाई करने में लापरवाही बरत रही थी। 12 दिन बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी, जिससे परिवार ने न्याय की गुहार लगाई।

 

पत्रकार की पोस्ट के बाद हरकत में आई पुलिस

29 जनवरी को सुधांशु थपलियाल ने इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर फेसबुक पर टिप्पणी की। इसके बाद पुलिस ने उन पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर देर रात घर से उठाकर लॉकअप में डाल दिया।

 

रातों-रात हिरासत, फोन जब्त

‘पहाड़ों के राही’ सोशल मीडिया पेज के कुलदीप सिंह रावत ने बताया कि पांच सब-इंस्पेक्टर और दो अन्य पुलिसकर्मी रात 10:30 बजे सुधांशु के घर पहुंचे और उन्हें कोतवाली ले गए। इस दौरान उनका मोबाइल जब्त कर लिया गया ताकि वह किसी से संपर्क न कर सकें। इसके बाद पुलिस ने कुछ दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर करवाए और उन्हें पूरी रात लॉकअप में रखा।

 

विरोध और पुलिस पर आरोप

स्थानीय पत्रकारों और नागरिकों ने इस कार्रवाई के खिलाफ विरोध जताया। अंजली थापा के भाई ने कहा, “पुलिस लापरवाह बनी रही, जिसके चलते मैंने पत्रकार से मदद मांगी। उनकी एक फेसबुक पोस्ट के बाद ही आरोपी पकड़ा गया। अगर वह पोस्ट न होती, तो शायद आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहा होता।”

 

हालांकि, पुलिस ने बिजनौर निवासी आरोपी कार चालक को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन पत्रकार पर मुकदमा दर्ज किए जाने से पुलिस के खिलाफ विरोध तेज हो गया है।

 

पुलिस जांच के दायरे में

पहले भी उत्तराखंड पुलिस की कार्यशैली पर समय समय पर सवाल उठते आये है कभी मीम बनाने के लिए 19 वर्ष के आयुष रावत को पुलिस उठा लेती है और फोन जब्त कर लिया जाता है तो कभी गुड़गांव से टिहरी निवासी अंकुश चौहान के साथ भी ऐसा ही किया जाता है।

पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने इस मामले में 24 मार्च को सुनवाई तय की है, जबकि मानवाधिकार आयोग ने भी रिपोर्ट तलब कर ली है।

 

यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली और मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है।

 

पहाड़पन की खबरें आपको कैसी लगती हैं? हमें व्हाट्सएप पर अवश्य साझा कीजिए!

 

अब पहाड़पन पर आप अपने व्यवसाय का भी प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।

📞 +917409347010

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!