देहरादून, 13 अप्रैल
उत्तराखंड पुलिस के उप निरीक्षक हर्ष अरोड़ा, जो हाल तक झाझरा पुलिस चौकी के प्रभारी थे, को एक विवादास्पद मामले के बाद पुलिस लाइनहाजिर कर दिया गया है। यह मामला 13 अप्रैल को सामने आया जब एक ज़मीनी विवाद के बीच वे एक निजी छुट्टी के दौरान मौके पर पहुंचे और हस्तक्षेप किया।
वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि विवाद स्थल पर एक वरिष्ठ IAS अधिकारी और एक स्थानीय व्यक्ति के बीच टकराव की स्थिति थी। वीडियो में IAS अधिकारी को आक्रोशित मुद्रा में देखा गया, जबकि दरोगा हर्ष अरोड़ा मामले को शांत कराने की कोशिश करते नज़र आते हैं। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि दोनों पक्षों में बहस तेज़ हुई थी और भाषा की मर्यादा पर भी सवाल उठे हैं।
प्रशासन की कार्यवाही:
सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों को IAS अधिकारी की ओर से शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसके बाद प्रारंभिक स्तर पर दरोगा अरोड़ा को पुलिस लाइनहाजिर कर दिया गया। पुलिस विभाग का कहना है कि मामले की जांच प्रक्रिया जारी है और पूरी जानकारी के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
UKD और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया:
उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) सहित मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति सहित कई स्थानीय संगठनों ने इस कार्रवाई को “कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के साथ अन्याय” बताते हुए इसका विरोध किया है। UKD ने मांग की है कि हर्ष अरोड़ा को तत्काल बहाल किया जाए और पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच हो, जिसमें IAS अधिकारी की भूमिका भी शामिल हो।
मुख्य सवाल:
क्या किसी भी पक्ष की शिकायत पर बिना जांच अधिकारी को हटाना उचित है?
क्या पुलिस और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी ऐसे टकरावों को जन्म दे रही है?
क्या एक वीडियो को देखकर अंतिम निष्कर्ष निकालना उचित होगा?
Pahadpan का दृष्टिकोण:
यह मामला सिर्फ एक अधिकारी की पोस्टिंग का नहीं है, बल्कि उत्तराखंड में प्रशासनिक पारदर्शिता और पुलिस मनोबल से जुड़ा बड़ा प्रश्न बन गया है। आवश्यकता है निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध जांच की, जिससे दोनों पक्षों के सम्मान और सच्चाई की रक्षा हो सके
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