गैरसैंण : लोकतंत्र का ‘गर्मी से ठंडा’ पड़ा सत्र
भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में आहूत विधानसभा के द्वितीय सत्र, 2025 की कार्यवाही आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तव में सदन चला भी था, जिसे स्थगित किया गया?
जनता मुद्दों पर चर्चा चाहती थी — राजधानी,बेरोज़गारी, पलायन, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, आपदा प्रबंधन की नाकामियाँ — मगर सदन में गूंज सिर्फ़ नारों, शोरगुल और सत्तापक्ष–विपक्ष की कुर्सी की खींचतान की रही। नतीजा वही निकला जो अक्सर निकलता है — “स्थगित”।
गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बड़े-बड़े सपनों के बीच, यहां बैठा सदन हर बार ठंडी चाय की तरह बीच में ही छोड़ दिया जाता है। आमजन पूछ रहे हैं — क्या यही है गैरसैंण में विधानसभा ले जाने का मक़सद?
राजधानी आंदोलन के सपनों को पंख देने वाला गैरसैंण आज नेताओं के लिए सिर्फ़ पिकनिक स्पॉट बनकर रह गया है। विधानसभा के नाम पर करोड़ों का खर्च, सुरक्षा का तमाशा, लेकिन नतीजा फिर वही — “सत्र स्थगित”।
असली सवाल अब जनता पूछ रही है:
अगर हर बार सदन को ऐसे ही बीच में बंद करना है, तो क्यों न विधानसभा को ही “स्थगित” घोषित कर दिया जाए?
और क्या गैरसैंण को सिर्फ़ नेताओं की “गर्मियों की छुट्टी वाली पोस्टिंग” बना दिया गया है?
निष्कर्ष: गैरसैंण में विधानसभा का सत्र नहीं, जनता का धैर्य अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो चुका है।
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